रविवार, 27 जुलाई 2025

संगोष्ठी (Symposium)

 

संगोष्ठी (Symposium)

1. परिभाषा (Definition):

संगोष्ठी एक औपचारिक शिक्षण विधि है, जिसमें किसी विशेष विषय पर विभिन्न विशेषज्ञ या वक्ता अपने विचार क्रमवार ढंग से प्रस्तुत करते हैं और श्रोता (विद्यार्थी) उन्हें सुनते हैं। इसमें प्रश्नोत्तर सामान्यतः अंत में होता है।

सरल शब्दों में: संगोष्ठी एक ऐसा मंच है जहाँ एक विषय के विविध पक्षों को क्रमशः वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

2. उद्देश्य (Objectives):

  • किसी विषय के विभिन्न पहलुओं को विशेषज्ञों के माध्यम से समझाना।
  • श्रोताओं में विचारशीलता और विश्लेषण क्षमता का विकास करना।
  • सुनने, नोट्स लेने और प्रश्न पूछने के कौशल को बढ़ावा देना।
  • शिक्षार्थियों को जटिल विषयों पर व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना।
  • सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण का अनुभव देना।

3. मुख्य विशेषताएँ (Key Features):

  • एक ही विषय पर कई वक्ताओं द्वारा प्रस्तुति।
  • प्रस्तुति अनुशासित और पूर्व नियोजित होती है।
  • श्रोता शांति से सुनते हैं, बीच में हस्तक्षेप नहीं करते।
  • समापन पर प्रश्नोत्तर या चर्चा का अवसर हो सकता है।
  • आयोजन औपचारिक, संगठित और समयबद्ध होता है।

4. प्रक्रिया (Process):

  1. विषय का चयन: शिक्षण उद्देश्य के अनुसार उपयुक्त विषय तय किया जाता है।
  2. वक्ताओं का चयन: विषय से संबंधित विशेषज्ञ या छात्रवक्ता चुने जाते हैं।
  3. पूर्व योजना: प्रत्येक वक्ता को विषय का विशिष्ट पक्ष दिया जाता है।
  4. प्रस्तुति का क्रम: सभी वक्ता तय क्रम से अपने विचार प्रस्तुत करते हैं।
  5. संचालन: एक संयोजक (moderator) समय व अनुशासन बनाए रखता है।
  6. प्रश्नोत्तर/चर्चा: अंत में श्रोताओं को प्रश्न पूछने या चर्चा करने का अवसर मिलता है।
  7. सारांश व समापन: संयोजक द्वारा विषय का संक्षेप और धन्यवाद ज्ञापन।

5. प्रकार (Types of Symposium):

  1. शैक्षणिक संगोष्ठी: किसी शैक्षणिक विषय पर (जैसे “जलवायु परिवर्तन”)।
  2. विज्ञान संगोष्ठी: विज्ञान संबंधी समस्याओं या खोजों पर।
  3. साहित्यिक संगोष्ठी: लेखक, कवि या साहित्य पर केंद्रित।
  4. सामाजिक संगोष्ठी: सामाजिक मुद्दों पर (जैसे “नारी सशक्तिकरण”)।
  5. अंतरविषयक संगोष्ठी: जहाँ विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ एक साथ चर्चा करते हैं।

6. लाभ (Advantages):

  • विद्यार्थियों को विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने की प्रेरणा मिलती है।
  • विषय की गहराई और व्यापकता का ज्ञान होता है।
  • बोलने, सुनने, संयोजन व संचालन कौशल का विकास होता है।
  • छात्रों को औपचारिक सार्वजनिक मंच पर बोलने का अवसर मिलता है।
  • विश्लेषणात्मक एवं आलोचनात्मक सोच को बल मिलता है।

7. सीमाएँ (Limitations):

  • समय की अधिक आवश्यकता होती है।
  • श्रोता निष्क्रिय रहते हैं, सहभागिता सीमित होती है।
  • यदि वक्ता कमजोर हो तो प्रभाव नहीं पड़ता।
  • विषय से भटकाव की संभावना रहती है।
  • तकनीकी समस्याओं या समय प्रबंधन की कमी से व्यवधान हो सकता है।

8. शिक्षक की भूमिका (Role of Teacher):

  • विषय और वक्ताओं का चयन करना।
  • प्रस्तुति का समय और क्रम निर्धारित करना।
  • संयोजक या संचालक की भूमिका निभाना।
  • प्रस्तुति की गुणवत्ता पर निगरानी रखना।
  • श्रोताओं को सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित करना।
  • अंत में विषय का सारांश प्रस्तुत करना।

9. निष्कर्ष (Conclusion):

संगोष्ठी एक प्रभावी शिक्षण विधि है जो विद्यार्थियों को किसी विषय के विभिन्न दृष्टिकोणों से अवगत कराती है। यह विचारों के आदान-प्रदान, सार्वजनिक बोलने की क्षमता और विषय पर गहरी समझ को विकसित करने में सहायक होती है।

ब्लॉग पर टिप्पणी और फ़ॉलो  जरूर करे ताकि हर नयी पोस्ट आपकों मेल पर मिलें। 

आप कौन सा टॉपिक चाहते हैं? 
कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। 
हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि आपको NEXT day टॉपिक available करवाया जाए। 
FOR B.ED. 1 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR B.ED. 2 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR M.ED. 1 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR M.ED. 2 YEAR SYLLABUS LINK 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सम्मेलन / कॉन्फ़्रेंस (Conference)

  सम्मेलन / कॉन्फ़्रेंस ( Conference) 1. परिभाषा ( Definition):      कॉन्फ़्रेंस एक औपचारिक और संगठित सभा होती है , जिसमें किसी विशेष वि...