माध्यमिक स्तर पर शिक्षक शिक्षा संस्थानों के पुनर्निर्माण एवं सशक्तिकरण हेतु केंद्र प्रायोजित योजना
(Centrally Sponsored Scheme for the Reconstructing and Strengthening of Teacher Education Institutions)
ब्लॉग पर टिप्पणी और फ़ॉलो जरूर करे ताकि हर नयी पोस्ट आपकों मेल पर मिलें।परिचय (Introduction):शिक्षकों की गुणवत्ता को सशक्त किए बिना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने शिक्षक शिक्षा की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में वर्ष 1987–88 से “केंद्र प्रायोजित योजना” की शुरुआत की, जो समय-समय पर परिवर्तित होकर वर्तमान स्वरूप में “Teacher Education Institutions के पुनर्निर्माण एवं सशक्तिकरण की योजना” बन गई है।
योजना का उद्देश्य (Objectives of the Scheme):
- शिक्षक शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन व पुनर्निर्माण।
- पूर्व-सेवा एवं सेवा-कालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मजबूत करना।
- शिक्षा का विकेंद्रीकरण एवं स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नवाचार।
- SCERT, DIET, CTE, IASE आदि संस्थानों की क्षमता का निर्माण।
- समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और प्रौद्योगिकी-समर्थित प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
योजना के मुख्य घटक (Major Components of the Scheme):
1. राज्य परिषद शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण (SCERT):
- पाठ्यक्रम निर्माण, शिक्षक शिक्षा, मूल्यांकन पद्धतियों का विकास करता है।
- नीति-निर्माण व अनुसंधान का राज्य स्तर का प्रमुख केंद्र।
2. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIETs):
- प्रारंभिक शिक्षक शिक्षा के साथ-साथ, माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिए आधारभूत प्रशिक्षण।
- नवाचार, अध्ययन सामग्री निर्माण, स्थानीय स्तर की समस्याओं का समाधान।
3. शिक्षक शिक्षा कॉलेज (CTEs – Colleges of Teacher Education):
- माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की पूर्व-सेवा एवं इन-सर्विस ट्रेनिंग।
- विषय-विशेष प्रशिक्षण (गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि)।
- अनुसंधान, कार्यशालाओं और शैक्षणिक नेतृत्व का विकास।
4. उच्चतर शिक्षक शिक्षा संस्थान (IASEs – Institutes of Advanced Study in Education):
- परास्नातक स्तर पर शिक्षक शिक्षा (M.Ed., शोध) और इन-सर्विस प्रशिक्षण।
- शिक्षक प्रशिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण।
- शिक्षाशास्त्रीय नवाचार और अनुसंधान गतिविधियों का केंद्र।
योजना के तहत किए गए प्रमुख हस्तक्षेप (Key Interventions):
- बुनियादी संरचना का विकास (Infrastructure):
- भवन, पुस्तकालय, ICT लैब्स, कार्यशालाएँ, आवासीय सुविधाओं का निर्माण।
- जनशक्ति की नियुक्ति (Human Resources):
- प्रशिक्षकों, सहायक कर्मचारियों, शोधकर्ताओं की नियुक्ति व क्षमता विकास।
- ICT का एकीकरण:
- कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, इंटरनेट और डिजिटल शिक्षण सामग्री का प्रशिक्षण।
- नवाचार व कार्यशालाएँ:
- स्थानीय शैक्षिक समस्याओं के समाधान हेतु प्रयोगशालाएँ, सम्मेलन, एक्सचेंज प्रोग्राम।
- वित्तीय सहायता:
- केंद्र सरकार द्वारा 60:40 (केंद्र:राज्य) के अनुपात में वित्तीय सहायता।
- उदाहरण: समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत समेकन:
- अब यह योजना Samagra Shiksha Abhiyan के तहत एकीकृत कर दी गई है।
उपलब्धियाँ (Achievements of the Scheme):
- पूरे देश में लगभग:
- 600+ DIETs
- 150+ CTEs
- 30+ IASEs की स्थापना।
- ग्रामीण व पिछड़े जिलों में शिक्षक प्रशिक्षण की पहुँच में वृद्धि।
- महिला शिक्षक प्रशिक्षण में भागीदारी में वृद्धि।
- नवाचार और ICT आधारित प्रशिक्षण को बढ़ावा।
समस्याएँ और चुनौतियाँ (Challenges and Concerns):
- मानव संसाधनों की कमी (Vacancies in Faculty):कई संस्थानों में योग्य शिक्षक प्रशिक्षकों की भारी कमी।
- कमी बजट आवंटन की (Inadequate Funding):योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अपेक्षित राशि का अभाव।
- गुणवत्ता पर ध्यान की कमी:प्रशिक्षण की गुणवत्ता अक्सर औपचारिकता बनकर रह जाती है।
- कमजोर निगरानी और मूल्यांकन तंत्र:प्रशिक्षण के प्रभाव की वास्तविक समीक्षा नहीं हो पाती।
- राज्यों के बीच असमान विकास:कुछ राज्यों में TEIs बहुत सक्रिय हैं, जबकि कुछ में निष्क्रिय।
NEP 2020 के संदर्भ में पुनः कल्पना (Re-envisioning in the Light of NEP 2020):
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षक शिक्षा को चार वर्षीय समेकित पाठ्यक्रम, प्रौद्योगिकी-सक्षम शिक्षण, और TEIs को विश्वविद्यालयों से संबद्ध करने पर बल दिया है।इससे यह योजना अब:
- समग्र शिक्षक शिक्षा ढाँचे का हिस्सा बन चुकी है।
- SCERT व DIET को प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में बढ़ रही है।
- गुणवत्ता और अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है।
निष्कर्ष (Conclusion):
माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सक्षम, प्रशिक्षित और प्रेरित शिक्षक अनिवार्य हैं।केंद्र प्रायोजित योजना ने इस दिशा में एक मजबूत नींव रखी है, परंतु इसे और प्रभावी बनाने हेतु स्थायी जनशक्ति, पर्याप्त बजट, प्रशिक्षण की गुणवत्ता और नवाचारों का समावेश आवश्यक है।
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