रविवार, 20 जुलाई 2025

पूर्व-सेवा (Pre-Service) तथा सेवा-कालीन (In-Service) शिक्षक शिक्षा से संबंधित मुद्दे

 

माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर पूर्व-सेवा (Pre-Service) तथा सेवा-कालीन (In-Service) शिक्षक शिक्षा से संबंधित मुद्दे, चिंताएँ एवं समस्याएँ

1. भूमिका और महत्व (Importance of Teacher Education at Secondary & Senior Secondary Level):

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर शिक्षक केवल ज्ञान का संप्रेषण नहीं करते, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व, मूल्यबोध, और करियर विकास को भी आकार देते हैं।
इसलिए शिक्षक शिक्षा (Teacher Education) की गुणवत्ता, प्रभावशीलता और प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

2. पूर्व-सेवा शिक्षक शिक्षा की समस्याएँ (Issues & Problems in Pre-Service Teacher Education):

2.1. व्यावहारिक प्रशिक्षण की कमी (Lack of Practical Training):

B.Ed., M.Ed. जैसे पाठ्यक्रमों में विद्यालय आधारित अनुभव (School Internship) या कक्षा अभ्यास प्रायः औपचारिकता बन कर रह जाते हैं।

2.2. पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता में कमी (Irrelevant Curriculum):

शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम वर्तमान शैक्षिक चुनौतियों (NEP 2020, ICT, समावेशी शिक्षा आदि) के अनुरूप अद्यतन नहीं होता।

2.3. शिक्षक शिक्षकों की गुणवत्ता (Quality of Teacher Educators):

B.Ed. कॉलेजों में स्वयं शिक्षक प्रशिक्षकों की गुणवत्ता संदेहास्पद होती है, जिनमें विषय विशेषज्ञता और अनुभव की कमी देखी जाती है।

2.4. शिक्षक शिक्षा संस्थानों की अव्यवस्था (Poor Regulation of TEIs):

कई निजी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान केवल प्रमाणपत्र प्रदान करते हैं, प्रशिक्षण की गुणवत्ता और ईमानदारी के साथ कोई सरोकार नहीं रखते।

2.5. ICT एवं नवाचार की अनुपस्थिति:

पूर्व-सेवा शिक्षा में डिजिटल टूल्स, स्मार्ट क्लास, ई-लर्निंग, ब्लेंडेड लर्निंग जैसे नवाचारों का समावेश नहीं किया जाता।

2.6. प्रवेश प्रक्रिया में दोष (Flawed Admission Process):

कई राज्यों में B.Ed. में प्रवेश केवल अंक या डोनेशन के आधार पर होता है, जिससे पेशे के प्रति समर्पित लोग नहीं आते।

3. सेवा-कालीन शिक्षक शिक्षा की समस्याएँ (Issues & Problems in In-Service Teacher Education):

3.1. प्रशिक्षण की औपचारिकता (Mechanical Approach):

इन-सर्विस ट्रेनिंग अक्सर केवल उपस्थिति रजिस्टर, सर्टिफिकेट और सरकारी आदेशों तक सीमित होती है, उसका वास्तविक प्रभाव शिक्षण में नहीं दिखता।

3.2. समय और आवश्यकता के अनुरूप न होना (Irrelevant to Current Needs):

शिक्षकों को विषय-विशेष, नई पद्धति या मूल्यांकन तकनीकों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन उन्हें दिए गए प्रशिक्षण उन ज़रूरतों से मेल नहीं खाते।

3.3. संसाधनों और प्रशिक्षकों की कमी:

प्रशिक्षण कार्यशालाओं में गुणवत्तापूर्ण संसाधन, प्रशिक्षक, ICT उपकरण या सहभागिता आधारित अभ्यास नहीं होते।

3.4. शिक्षकों की भागीदारी में रुचि की कमी:

कई शिक्षक प्रशिक्षण को बोझ समझते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह केवल औपचारिकता है। प्रेरणा की कमी इसका बड़ा कारण है।

3.5. मूल्यांकन और फॉलो-अप की अनुपस्थिति:

प्रशिक्षण के बाद शिक्षक के व्यवहार, शिक्षण की गुणवत्ता या कक्षा-प्रदर्शन में परिवर्तन का कोई मूल्यांकन नहीं किया जाता।

3.6. डिजिटल साक्षरता का अभाव:

आज के दौर में भी कई शिक्षक ICT टूल्स, ऑनलाइन शिक्षण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों से अपरिचित हैं।

4. चिंताएँ (Concerns):

  • गुणवत्ता की गिरावट: जब शिक्षक शिक्षा सतही और औपचारिक हो जाए तो शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • शिक्षा का निजीकरण: निजी संस्थान शिक्षक शिक्षा को व्यावसायिक वस्तु बना रहे हैं।
  • समावेशी शिक्षा की उपेक्षा: विकलांग, वंचित और धीमे अधिगम करने वाले छात्रों के लिए शिक्षक तैयार नहीं किए जाते।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप तैयारी की कमी।

5. समाधान एवं रणनीतियाँ (Strategies and Interventions):

5.1. पूर्व-सेवा पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण:

B.Ed., M.Ed. पाठ्यक्रमों को NEP 2020, ICT, समावेशी शिक्षा, मूल्य शिक्षा जैसे पहलुओं के अनुरूप बनाया जाए।

5.2. प्रैक्टिकल और स्कूल-आधारित अनुभव पर बल:

इंटर्नशिप को अनिवार्य, लंबा और मूल्यांकन आधारित बनाया जाए।

5.3. In-service प्रशिक्षण को विषय-विशेष एवं शिक्षण-अनुकूल बनाया जाए:

ब्लेंडेड लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मूल्यांकन की नई तकनीकें, मानसिक स्वास्थ्य, जीवन कौशल आदि पर नियमित प्रशिक्षण हो।

5.4. ICT आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल:

DIKSHA, Nishtha, Swayam जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर शिक्षकों के लिए ऑनलाइन, स्वयं गति से सीखने वाले पाठ्यक्रम (self-paced courses) उपलब्ध कराए जाएँ।

5.5. फॉलो-अप एवं मूल्यांकन:

प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों की कक्षा में प्रगति की निगरानी की जाए और उसका फीडबैक लिया जाए।

5.6. प्रेरणा आधारित विकास मॉडल:

शिक्षकों को केवल अनिवार्य प्रशिक्षण न देकर, पुरस्कार, बढ़ोतरी और सम्मान के ज़रिए सीखने के लिए प्रेरित किया जाए।

निष्कर्ष (Conclusion):

    "एक शिक्षक जितना सशक्त होगा, शिक्षा प्रणाली उतनी ही मजबूत होगी।"
माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षक शिक्षा पूर्व-सेवा और सेवा-कालीन दोनों स्तरों पर अनिवार्य है।
    यदि हम शिक्षक शिक्षा को प्रेरणा, नवाचार, गुणवत्ता और व्यावहारिकता से जोड़ सकें, तो भारत की शिक्षण प्रणाली एक नई ऊँचाई तक पहुँच सकती है।
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