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माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा में गुणवत्ता प्रबंधन से संबंधित समस्याएँ
(Issues of Quality Management in Secondary & Senior Secondary Education)
1. भूमिका (Introduction):
शिक्षा केवल संख्या में वृद्धि (Enrolment) तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि गुणवत्ता (Quality) भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।माध्यमिक (कक्षा 9-10) और उच्च माध्यमिक (कक्षा 11-12) स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विद्यार्थियों के भविष्य, रोजगार, उच्च शिक्षा, कौशल और सामाजिक विकास के लिए अनिवार्य है। परंतु, इन स्तरों पर गुणवत्ता प्रबंधन (Quality Management) की अनेक समस्याएँ हैं जो शिक्षा की प्रभावशीलता को प्रभावित करती हैं।
2. गुणवत्ता प्रबंधन की प्रमुख समस्याएँ (Major Issues of Quality Management):
2.1. शिक्षकों की गुणवत्ता में कमी:
- योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी।
- विषय विशेषज्ञता का अभाव।
- सेवा-कालीन प्रशिक्षण (In-service training) की कमी या औपचारिकता।
2.2. असमान संसाधन वितरण (Inequitable Resource Allocation):
- शहरी बनाम ग्रामीण, सरकारी बनाम निजी विद्यालयों में भारी असमानता।
- लाइब्रेरी, लैब, कंप्यूटर, इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
2.3. बोझिल पाठ्यक्रम और रटने की प्रवृत्ति:
- पाठ्यक्रम व्यवहारिक जीवन से जुड़ा नहीं होता।
- केवल परीक्षा पास करने पर ज़ोर, नवाचार और जिज्ञासा की कमी।
2.4. मूल्यांकन प्रणाली की कमजोरी:
- मूल्यांकन प्रणाली में केवल अंक आधारित परीक्षा पर निर्भरता।
- समग्र आकलन (CCE), आत्म-मूल्यांकन, कौशल आधारित मूल्यांकन का अभाव।
2.5. नेतृत्व एवं प्रशासनिक अक्षमता:
- स्कूल नेतृत्व में प्रेरणा और प्रबंधन कौशल की कमी।
- प्रधानाचार्य केवल प्रशासनिक कार्यों में उलझे रहते हैं।
2.6. छात्र-केंद्रित शिक्षण की कमी:
- पारंपरिक शिक्षक-केंद्रित पद्धतियाँ प्रचलित हैं।
- विद्यार्थियों की भागीदारी, रचनात्मकता और सहयोगी शिक्षा की संस्कृति नहीं बनती।
2.7. शिक्षा का निजीकरण और व्यावसायीकरण:
- निजी स्कूलों में शिक्षा एक सेवा नहीं, बल्कि लाभ का माध्यम बन गई है।
- प्रवेश, शुल्क और मूल्यांकन में पारदर्शिता की कमी।
2.8. डिजिटल डिवाइड (Digital Divide):
- कुछ स्कूलों में स्मार्ट क्लास, ई-कंटेंट उपलब्ध हैं, जबकि अधिकांश सरकारी स्कूलों में डिजिटल संसाधनों की भारी कमी है।
3. गुणवत्ता प्रबंधन के प्रयासों में चुनौतियाँ (Challenges in Quality Management Efforts):
- राज्यों के बीच नीति और कार्यान्वयन में भिन्नता।
- मॉनिटरिंग और फॉलो-अप तंत्र की कमजोरी।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शिक्षक की सहभागिता में कमी।
- जनभागीदारी और अभिभावकों की भूमिका को नज़रअंदाज़ किया जाना।
4. गुणवत्ता सुधार हेतु प्रमुख सुझाव एवं रणनीतियाँ (Strategies and Interventions for Quality Improvement):
4.1. शिक्षकों का सतत व्यावसायिक विकास (Continuous Professional Development – CPD):
- नियमित और प्रभावी सेवा-कालीन प्रशिक्षण।
- ICT, मूल्य शिक्षा, समावेशी शिक्षा, नवीन शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण।
4.2. नेतृत्व विकास कार्यक्रम:
- प्रधानाचार्यों, प्रबंधकों और समन्वयकों के लिए नेतृत्व और प्रबंधन कौशल आधारित प्रशिक्षण।
4.3. समावेशी और नवाचार आधारित शिक्षण:
- धीमे सीखने वाले, विकलांग और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए विशेष शिक्षण उपाय।
- नवाचार प्रोत्साहन कार्यक्रम (Innovative Teaching Awards, Action Research)।
4.4. मूल्यांकन सुधार:
- केवल परीक्षा नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट वर्क, प्रेजेंटेशन, समूह चर्चा और व्यवहार आकलन को भी मूल्यांकन में शामिल किया जाए।
4.5. सार्वजनिक निगरानी और जवाबदेही:
- विद्यालय विकास समिति (School Management Committees), अभिभावक शिक्षक संघ, स्कूल रिपोर्ट कार्ड जैसे तंत्रों को सक्रिय बनाना।
4.6. डिजिटल संसाधनों का समावेश:
- DIKSHA, SWAYAM, e-Pathshala, NROER जैसे प्लेटफॉर्म का प्रभावी उपयोग।
- सभी स्कूलों को बेसिक ICT सुविधाओं से लैस करना।
4.7. विद्यालयों के बीच सहयोग की संस्कृति (Peer Learning):
- उत्कृष्ट विद्यालयों से अन्य स्कूलों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रम।
- ब्लॉक, ज़िला और राज्य स्तर पर शिक्षक संगोष्ठियाँ।
5. नीति-संबंधित पहलें (Policy-Level Interventions):
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020): चार वर्षीय शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम, मूल्य आधारित शिक्षा, कौशल विकास, स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (SQAF)।
- समग्र शिक्षा अभियान: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, ICT, शिक्षकों का प्रशिक्षण, मूल्यांकन सुधार, नवाचार आदि को समेकित रूप से बढ़ावा।
- PARAKH (Performance Assessment, Review and Analysis of Knowledge for Holistic Development): एक राष्ट्रीय मूल्यांकन निकाय के रूप में गुणवत्ता के नए मानक तय करना।
6. निष्कर्ष (Conclusion):
गुणवत्ता शिक्षा ही भविष्य का आधार है। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर गुणवत्ता प्रबंधन की समस्याएँ बहुआयामी हैं – जिनमें संसाधनों की कमी, प्रशिक्षण की अप्रभाविता, मूल्यांकन की खामियाँ और नेतृत्व का अभाव प्रमुख हैं।इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब नीति, योजना, शिक्षक, समाज और प्रौद्योगिकी एक साझा मंच पर मिलकर कार्य करें।
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