रविवार, 27 जुलाई 2025

व्यवहारवादी, संज्ञानात्मक और रचनावादी शिक्षण सिद्धांत व अनुदेशन डिज़ाइन पर प्रभाव

 

व्यवहारवादी (Behaviourist), संज्ञानात्मक (Cognitive) और 

रचनावादी (Constructivist) शिक्षण सिद्धांत  

अनुदेशन डिज़ाइन (Instructional Design) पर प्रभाव

 

1. व्यवहारवादी सिद्धांत (Behaviourist Theory)

मूल विचार:

  • अधिगम = व्यवहार में परिवर्तन
  • यह परिवर्तन उद्दीपन (Stimulus) और प्रतिक्रिया (Response) के परिणामस्वरूप होता है।
  • व्यवहार को प्रशिक्षण, प्रशंसा, दंड और दोहराव (repetition) से बदला या सुधारा जा सकता है।
  • मानसिक अवस्थाओं (जैसे सोच, भावना) को गौण माना गया; केवल दिखने योग्य व्यवहार पर ज़ोर।
  • यह सिद्धांत कहता है कि अधिगम (Learning) एक व्यवहारिक परिवर्तन है जो वातावरणीय उद्दीपन (Stimulus) और प्रतिक्रिया (Response) के आधार पर होता है।
  • स्किनर का ऑपरेन्ट कंडीशनिंग सिद्धांत कहता है कि सकारात्मक या नकारात्मक प्रोत्साहन (Reinforcement) से व्यवहार को नियंत्रित किया जा सकता है।

Instructional Design (अनुदेशन डिज़ाइन) में व्यवहारवाद के प्रभाव:

  • रटंत अधिगम (rote learning) को बढ़ावा।
  • रिक्त स्थान भरना, सही-गलत, बहुविकल्पीय प्रश्न आधारित शिक्षण विधियाँ।
  • पुरस्कार और दंड के माध्यम से छात्र की प्रगति को प्रेरित करना।

शैक्षिक रणनीति

विवरण

Drill & Practice

अभ्यास आधारित अधिगम: जैसे बार-बार गणितीय सवाल करना

प्रशंसा और दंड

सही उत्तर पर इनाम, गलत उत्तर पर सुधारात्मक प्रतिक्रिया

Step-by-Step Learning

कौशलों को छोटे-छोटे क्रमबद्ध चरणों में सिखाना

Programmed Instruction

पूर्वनिर्धारित सामग्री जैसे – CBT (Computer-Based Training)

 

व्यवहारवादी विचारक: जीवन, कार्य और योगदान

बी. एफ. स्किनर (B.F. Skinner)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 1904, अमेरिका
  • मृत्यु: 1990
  • प्रसिद्ध व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध

प्रमुख कार्य:

  • Operant Conditioning (क्रियात्मक अनुबन्धन) का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
  • Skinner Box प्रयोग: एक चूहे को लीवर दबाकर भोजन प्राप्त करना सिखाया गया।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • बताया कि Reinforcement (प्रशंसा/दंड) के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित और सुधारा जा सकता है।
  • Programmed Learning की नींव रखी जिसमें छात्र आत्मगति से सीखते हैं।
  • शिक्षा में ऑब्जेक्टिव टेस्टिंग और फीडबैक सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा दिया।

एडवर्ड एल. थॉर्नडाइक (E.L. Thorndike)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 1874, अमेरिका
  • मृत्यु: 1949
  • शैक्षिक मनोविज्ञान के जनक माने जाते हैं।

प्रमुख कार्य:

  • Trial and Error Learning का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
  • Puzzle Box प्रयोग: बिल्लियों को धीरे-धीरे प्रयासों से भोजन प्राप्त करना सिखाया।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • Law of Effect प्रतिपादित किया: संतोषजनक प्रतिक्रिया को बार-बार करने की प्रवृत्ति होती है।
  • शिक्षा के लिए Stimulus-Response Bond Theory का विकास किया।
  • आधुनिक परीक्षण एवं मूल्यांकन तकनीकों की नींव रखी।

इवान पावलोव (Ivan Pavlov)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 1849, रूस
  • मृत्यु: 1936
  • मूलतः एक फिजियोलॉजिस्ट (शारीरिक वैज्ञानिक) थे।

प्रमुख कार्य:

  • Classical Conditioning (शास्त्रीय अनुबंधन) सिद्धांत का प्रतिपादन।
  • Dog Experiment: एक कुत्ते को घंटी की आवाज़ से भोजन की अपेक्षा करना सिखाया।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • यह सिद्ध किया कि एक तटस्थ उद्दीपन (जैसे घंटी) भी अधिगम में भूमिका निभा सकता है यदि उसे बार-बार स्वाभाविक उद्दीपन (जैसे भोजन) से जोड़ा जाए।
  • व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए conditioning techniques का आधार प्रस्तुत किया।
  • आधुनिक व्यवहारवादी शिक्षा प्रणाली की नींव तैयार की।

 

नीचे तालिका में तीन प्रमुख व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों का सार दिया गया है:

नाम

जीवन काल

प्रमुख कार्य

सिद्धांत / प्रयोग

शैक्षिक योगदान

बी. एफ. स्किनर (B.F. Skinner)

1904–1990 (अमेरिका)

मनोविज्ञान में व्यवहारवाद को आगे बढ़ाया

Operant Conditioning (क्रियात्मक अनुबन्धन) - Skinner Box प्रयोग (चूहों पर)

अधिगम को मजबूत करने के लिए Positive/Negative Reinforcement का उपयोग; Programmed Learning, Drill-based शिक्षण प्रणाली

एडवर्ड एल. थॉर्नडाइक (E.L. Thorndike)

1874–1949 (अमेरिका)

अधिगम पर प्रयोगात्मक अध्ययन

Trial and Error Learning - Puzzle Box प्रयोग (बिल्लियों पर) - Law of Effect

"Stimulus-Response" जोड़ की अवधारणा स्वचालित शिक्षण पद्धतियों की नींव रखी

इवान पावलोव (Ivan Pavlov)

1849–1936 (रूस)

भौतिक विज्ञानी और फिजियोलॉजिस्ट

Classical Conditioning (शास्त्रीय अनुबंधन) - डॉग बेल एक्सपेरिमेंट

उद्दीपन-प्रतिक्रिया को अधिगम का आधार बनाया आदत और व्यवहार निर्माण के लिए उपयोगी सिद्धांत

 तीनों सिद्धांतों की तुलना (संक्षेप में)

विचारक

प्रमुख सिद्धांत

प्रयोग

मुख्य निष्कर्ष

पावलोव

Classical Conditioning

कुत्ते की लार (Bell and Saliva)

अधिगम उद्दीपन और प्रतिक्रिया से होता है

थॉर्नडाइक

Trial & Error Learning

बिल्ली और Puzzle Box

सही उत्तर को मजबूत किया जाता है (Law of Effect)

स्किनर

Operant Conditioning

चूहे और लीवर (Skinner Box)

Reinforcement व्यवहार को नियंत्रित करता है

शिक्षण प्रक्रिया में व्यवहारवाद के अनुप्रयोग (Applications in Instructional Design):

विधि

उदाहरण

लाभ

Drill & Practice

बार-बार गणित अभ्यास

स्वचालितता और सटीकता

Immediate Feedback

उत्तर सही हो तो ‘Very Good’

प्रेरणा में वृद्धि

Programmed Learning

Step-wise ट्यूटरियल

आत्मगति से अधिगम

Reward System

अंक, सितारे, प्रमाण पत्र

सकारात्मक प्रेरणा

निष्कर्ष:

  • व्यवहारवाद सरल अधिगम (basic learning) जैसे – रटना, अभ्यास, भाषा अधिगम, गणित आदि में अत्यधिक उपयोगी है।
  • यह सीखने के परिणाम-आधारित मूल्यांकन को बढ़ावा देता है।
  • Instructional Design में इसका उपयोग करके स्पष्ट, मापनीय और अनुक्रमिक लक्ष्य बनाए जा सकते हैं।

 

2. संज्ञानात्मक सिद्धांत (Cognitive Theory)

 मूल विचार:

  • अधिगम केवल व्यवहार में बदलाव नहीं, बल्कि मानसिक प्रक्रियाओं जैसे स्मृति, ध्यान, विश्लेषण, और निर्णय क्षमता में परिवर्तन है।
  • अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है जिसमें छात्र जानकारी को प्राप्त करता है, संसाधित करता है, और उसे व्यवस्थित करता है।
  • पूर्वज्ञान (prior knowledge) और अनुभवों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

 

 Instructional Design (शिक्षण डिज़ाइन) में संज्ञानात्मक सिद्धांत के प्रभाव:

  1. सार्थक अधिगम (Meaningful Learning) को बढ़ावा देना।
  2. पाठ्यवस्तु को तार्किक क्रम में प्रस्तुत करना।
  3. छात्रों के पूर्वज्ञान को सक्रिय करना।
  4. Advance Organizer का प्रयोग: पाठ से पहले एक विस्तृत रूपरेखा देना।
  5. समस्या समाधान (Problem Solving), विश्लेषण (Analysis), और खोज (Inquiry) आधारित गतिविधियाँ।
  6. शिक्षकों की भूमिका सूचनाओं को संरचित ढंग से प्रस्तुत करने वाले के रूप में होती है।

प्रमुख विचारक: जीन पियाजे (Jean Piaget), डेविड औज़ुबेल (David Ausubel), जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner)

(i) जीन पियाजे (Jean Piaget)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 9 अगस्त 1896, स्विट्ज़रलैंड
  • मृत्यु: 16 सितंबर 1980
  • पेशा: विकासात्मक मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक

प्रमुख कार्य:

  • संज्ञानात्मक विकास का चरणबद्ध सिद्धांत (Stages of Cognitive Development) प्रतिपादित किया।
  • यह सिद्धांत बताता है कि बच्चे अलग-अलग आयु में अलग प्रकार से सोचते हैं।

संज्ञानात्मक विकास के चार चरण:

  1. संवेदी-ग्रहणशील अवस्था (Sensori-Motor Stage) – 0 से 2 वर्ष
  2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Pre-Operational Stage) – 2 से 7 वर्ष
  3. ठोस संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage) – 7 से 11 वर्ष
  4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage) – 11 वर्ष से ऊपर

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • यह सिद्ध किया कि बच्चा एक निष्क्रिय श्रोता नहीं, बल्कि ज्ञान का सक्रिय निर्माता है।
  • स्कीमा, समायोजन (Accommodation), संजोजन (Assimilation) जैसे मनोवैज्ञानिक अवधारणाएँ दीं।
  • शिक्षा में आयु-अनुकूल शिक्षण, गतिविधि आधारित अधिगम और सोचने की क्षमता को बढ़ावा दिया।

मूल विचार:

  • बालक की सोच (Cognitive development) चरणों में विकसित होती है:
    1. संवेदी-ग्रहणशील अवस्था (0-2 वर्ष)
    2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (2-7 वर्ष)
    3. ठोस संक्रियात्मक अवस्था (7-11 वर्ष)
    4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 वर्ष+)
  • बालक ज्ञान का स्वयं निर्माण करता है।

शैक्षिक डिज़ाइन पर प्रभाव:

  • आयु के अनुसार पाठ्यवस्तु का चयन।
  • खोज आधारित शिक्षण।
  • बच्चों को स्वयं अनुभव कर सीखने देना।

(ii) डेविड औज़ुबेल (David Ausubel)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 25 अक्टूबर 1918, अमेरिका
  • मृत्यु: 9 जुलाई 2008
  • पेशा: शैक्षिक मनोवैज्ञानिक

प्रमुख कार्य:

  • अर्थपूर्ण अधिगम सिद्धांत (Meaningful Learning Theory) का प्रतिपादन किया।
  • बताया कि नया ज्ञान तभी प्रभावी होता है जब उसे पूर्व ज्ञान से जोड़ा जाए।

मुख्य अवधारणाएँ:

  • Advance Organizer: पाठ शुरू करने से पहले एक बड़ा वैचारिक फ्रेमवर्क देना जिससे छात्र विषय को बेहतर समझ सकें।
  • Reception Learning: जानकारी को व्यवस्थित और संरचित रूप में प्रस्तुत करना।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • शिक्षा को स्मृति पर आधारित रटन से हटाकर अर्थपूर्ण अधिगम की ओर मोड़ा।
  • संज्ञानात्मक संरचना (Cognitive Structure) को केंद्र में रखा।
  • शिक्षकों के लिए यह दिशा दी कि वे पहले छात्रों की पृष्ठभूमि समझें और उस पर आधारित शिक्षण करें।

मूल विचार:

  • अर्थपूर्ण अधिगम सिद्धांत (Meaningful Learning Theory)
  • नए ज्ञान को पूर्व ज्ञान से जोड़ना आवश्यक है।
  • एडवांस ऑर्गनाइज़र (Advance Organizer) की अवधारणा दी।

शैक्षिक डिज़ाइन पर प्रभाव:

  • पाठ शुरू करने से पहले शिक्षार्थियों को एक व्यापक संदर्भ देना।
  • पाठों को तार्किक क्रम में प्रस्तुत करना।
  • छात्रों की पूर्व जानकारी को सक्रिय करना।

(iii) जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 1 अक्टूबर 1915, अमेरिका
  • मृत्यु: 5 जून 2016
  • पेशा: मनोवैज्ञानिक, शैक्षिक सिद्धांतकार

प्रमुख कार्य:

  • खोज आधारित अधिगम (Discovery Learning) का प्रवर्तन किया।
  • अधिगम को तीन चरणों में बाँटा:
    1. Enactive Mode (क्रियात्मक) – अनुभव के माध्यम से सीखना
    2. Iconic Mode (प्रतीकात्मक) – चित्रों और दृश्यों द्वारा
    3. Symbolic Mode (प्रतीक चिन्ह) – भाषा, सूत्रों और प्रतीकों के माध्यम से

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • Spiral Curriculum की अवधारणा: कोई भी विषय किसी भी आयु के बच्चे को सिखाया जा सकता है, यदि वह उपयुक्त रूप में प्रस्तुत किया जाए।
  • विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने, अन्वेषण करने, और स्वयं उत्तर खोजने के लिए प्रेरित किया।
  • शिक्षा में बौद्धिक विकास और ज्ञान की संरचना (Structure of Knowledge) पर जोर दिया।

मूल विचार:

  • अधिगम को तीन प्रकार की अभ्यक्तियों में बाँटा:
    1. क्रियात्मक (Enactive)
    2. प्रतीकात्मक (Iconic)
    3. प्रतीकात्मक (Symbolic)
  • खोज आधारित अधिगम (Discovery Learning) को महत्व दिया।

शैक्षिक डिज़ाइन पर प्रभाव:

  • समस्या समाधान पर आधारित शिक्षण।
  • छात्रों को स्वयं निष्कर्ष निकालने की सुविधा देना।
  • सामग्री को सर्पिल क्रम (Spiral Curriculum) में प्रस्तुत करना।

 निष्कर्ष (Conclusion):

  • संज्ञानात्मक सिद्धांत यह मानता है कि अधिगम एक आंतरिक मानसिक प्रक्रिया है, न कि केवल व्यवहार में बदलाव।
  • Instructional Design में यह सिद्धांत पूर्वज्ञान, संगठन, समझ, और समस्या समाधान पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • पियाजे, औज़ुबेल और ब्रूनर ने शिक्षा को बच्चों की मानसिक संरचना और अधिगम क्षमता के अनुसार ढालने का मार्ग प्रशस्त किया।

 

3. रचनावादी सिद्धांत (Constructivist Theory)

मूल विचार:

  • अधिगम एक सक्रिय, आत्म-संचालित, और सामाजिक प्रक्रिया है।
  • शिक्षार्थी ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैंवे केवल सूचना ग्रहण नहीं करते, बल्कि उसे अपने अनुभव और पूर्वज्ञान से जोड़कर समझ विकसित करते हैं।
  • अधिगम संदर्भ (context) और सांस्कृतिक तथा सामाजिक सहभागिता से गहराई से प्रभावित होता है।

 रचनावाद के मुख्य सिद्धांत:

  1. अधिगम व्यक्ति की पूर्व जानकारी और अनुभवों पर आधारित होता है।
  2. सहयोग और संवाद अधिगम को मजबूत बनाते हैं।
  3. समस्या-आधारित, परियोजना आधारित, और खोज आधारित शिक्षण को बढ़ावा मिलता है।
  4. शिक्षक की भूमिका मार्गदर्शक (facilitator) की होती है, न कि जानकारी देने वाले की।

 Instructional Design (शिक्षण डिज़ाइन) में रचनावादी सिद्धांत के प्रभाव:

  • सक्रिय अधिगम: विद्यार्थी को सीखने की प्रक्रिया में सहभागी बनाना।
  • सहयोगात्मक कार्य: समूहों में कार्य और सहकर्मी संवाद।
  • प्रोजेक्ट और समस्या आधारित शिक्षण: वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने से अधिगम।
  • Scaffolding: कठिन कार्यों में मार्गदर्शन प्रदान करना।
  • ZPD (Zone of Proximal Development) पर आधारित गतिविधियाँ।

 विचारकों का विवरण

 1. लेव वायगोत्स्की (Lev Vygotsky)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 17 नवंबर 1896, रूस
  • मृत्यु: 11 जून 1934
  • पेशा: मनोवैज्ञानिक और शैक्षिक सिद्धांतकार

प्रमुख कार्य:

  • सांस्कृतिक-सामाजिक विकास सिद्धांत (Sociocultural Theory of Cognitive Development) का प्रतिपादन।
  • Zone of Proximal Development (ZPD) की अवधारणा दी।
  • Scaffolding और Social Interaction को अधिगम का आधार माना।

प्रमुख अवधारणाएँ:

  1. ZPD: वह क्षेत्र जिसमें बच्चा अकेले नहीं सीख सकता, पर सहायता से सीख सकता है।
  2. Scaffolding: कठिन कार्य में अस्थायी सहायता, जिसे धीरे-धीरे हटाया जाता है।
  3. भाषा और संवाद को संज्ञानात्मक विकास का मुख्य माध्यम माना।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • यह सिद्ध किया कि सामाजिक वातावरण और संस्कृति अधिगम को आकार देते हैं।
  • सहपाठी सहायता और शिक्षक-छात्र संवाद को शिक्षा में महत्वपूर्ण माना।
  • रचनावाद को सामाजिक आधार प्रदान किया।

2. जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 1 अक्टूबर 1915, अमेरिका
  • मृत्यु: 5 जून 2016
  • पेशा: मनोवैज्ञानिक, शिक्षा शोधकर्ता

प्रमुख कार्य:

  • खोज आधारित अधिगम (Discovery Learning) का प्रतिपादन किया।
  • अधिगम को तीन रूपों में बाँटा:
    1. Enactive (क्रियात्मक)क्रिया के माध्यम से सीखना
    2. Iconic (प्रतीकात्मक)चित्रों व मॉडल्स के माध्यम से
    3. Symbolic (प्रतीक चिन्ह)भाषा व प्रतीकों के माध्यम से

प्रमुख अवधारणाएँ:

  1. Spiral Curriculum: विषयों को सरल रूप में शुरू करके धीरे-धीरे जटिलता बढ़ाना।
  2. Discovery Learning: छात्रों को समस्याएँ हल करने और जानकारी खोजने के लिए प्रेरित करना।
  3. Structure of Knowledge: ज्ञान की संरचना को समझना और उस पर आधारित शिक्षण करना।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • छात्र-केंद्रित शिक्षण को बढ़ावा दिया।
  • शिक्षक को मार्गदर्शक की भूमिका में स्थापित किया।
  • अधिगम को अन्वेषण, अनुभव और संवाद पर आधारित बनाया।

3. जीन पियाजे (Jean Piaget)

जीवन परिचय:

  • जन्म: 9 अगस्त 1896, स्विट्ज़रलैंड
  • मृत्यु: 16 सितंबर 1980
  • पेशा: विकासात्मक मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक

प्रमुख कार्य:

  • संज्ञानात्मक विकास का चरणबद्ध सिद्धांत विकसित किया।
  • बताया कि बच्चे स्वतः ज्ञान का निर्माण करते हैं और प्रत्येक आयु में उनकी सोचने की क्षमता अलग होती है।

चार विकासात्मक चरण:

  1. संवेदी-ग्रहणशील अवस्था (0–2 वर्ष)
  2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (2–7 वर्ष)
  3. ठोस संक्रियात्मक अवस्था (7–11 वर्ष)
  4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11+ वर्ष)

प्रमुख अवधारणाएँ:

  • स्कीमा (Schema), समायोजन (Accommodation), संजोजन (Assimilation)
  • बालक का अधिगम उसकी विकासात्मक अवस्था पर निर्भर करता है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • अधिगम को आयु, अनुभव और अन्वेषण आधारित माना।
  • गतिविधि आधारित शिक्षण को मान्यता दी।
  • शिक्षा को बालक की संज्ञानात्मक क्षमता के अनुसार ढालने का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

 निष्कर्ष (Conclusion):

  • रचनावादी सिद्धांत मानता है कि अधिगम एक निजी, सामाजिक और संदर्भात्मक प्रक्रिया है।
  • शिक्षण केवल सूचना का संप्रेषण नहीं, बल्कि छात्र के अनुभव, खोज और संवाद द्वारा ज्ञान निर्माण है।
  • वायगोत्स्की ने सामाजिक और भाषिक सहभागिता, ब्रूनर ने खोज और संरचना, और पियाजे ने मानसिक विकास और अनुभव को अधिगम का मूल आधार बताया।

 सिद्धांतों की तुलना और शैक्षणिक डिज़ाइन पर उनके प्रभाव

सिद्धांत

प्रमुख विचार

शिक्षण विधियाँ

शिक्षक की भूमिका

व्यवहारवादी

व्यवहार में परिवर्तन

अभ्यास, पुनरावृत्ति, पुरस्कार-दंड

नियंत्रक (Controller)

संज्ञानात्मक

मानसिक संरचनाओं का विकास

विश्लेषण, वर्गीकरण, संरचित सामग्री

मार्गदर्शक (Guide)

रचनावादी

ज्ञान का निर्माण सामाजिक संदर्भ में

समूह कार्य, परियोजना आधारित अधिगम

सहायक (Facilitator)

निष्कर्ष (Conclusion):

  • व्यवहारवाद सरल कौशल और याद्दाश्त आधारित शिक्षा के लिए उपयोगी है।
  • संज्ञानात्मक सिद्धांत जटिल मानसिक प्रक्रियाओं को समझने और अर्थपूर्ण अधिगम के लिए प्रभावी है।
  • रचनावाद वास्तविक जीवन की समस्याओं से सीखने, उच्च स्तर के चिंतन और सहयोगात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करता है।

    Instructional Design में इन सिद्धांतों के समन्वित प्रयोग से प्रभावी, बाल-केंद्रित और अधिगम-सक्रिय शिक्षण संभव है।

ब्लॉग पर टिप्पणी और फ़ॉलो  जरूर करे ताकि हर नयी पोस्ट आपकों मेल पर मिलें। 
आप कौन सा टॉपिक चाहते हैं? 
कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। 
हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि आपको NEXT day टॉपिक available करवाया जाए। 
FOR B.ED. 1 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR B.ED. 2 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR M.ED. 1 YEAR SYLLABUS LINK 
FOR M.ED. 2 YEAR SYLLABUS LINK 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सम्मेलन / कॉन्फ़्रेंस (Conference)

  सम्मेलन / कॉन्फ़्रेंस ( Conference) 1. परिभाषा ( Definition):      कॉन्फ़्रेंस एक औपचारिक और संगठित सभा होती है , जिसमें किसी विशेष वि...