शिक्षण या शिक्षक व्यवहार का संशोधन
(Modification of Teaching or Teacher Behaviour)
1. शिक्षक व्यवहार का संशोधन(Modification of Teacher Behaviour)
शिक्षक व्यवहार का संशोधन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शिक्षक के अवांछनीय, अप्रभावी या पारंपरिक व्यवहार में परिवर्तन करके उसमें सकारात्मक, प्रभावी और वैज्ञानिक शिक्षण व्यवहार विकसित किया जाता है।
शिक्षक को बेहतर और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए उसके व्यवहार में सुधार करना — यही व्यवहार संशोधन है।
2. संशोधन की आवश्यकता क्यों? (Why is Modification Needed?)
कई बार शिक्षक:-
- पुराने ढर्रे पर पढ़ाते हैं
- छात्रों से संवाद नहीं करते
- केवल व्याख्यान विधि (Lecture Method) पर निर्भर रहते हैं
- छात्रों की भागीदारी को नजरअंदाज करते हैं
- अनुशासन बनाए रखने में विफल रहते हैं
इन सभी स्थितियों में शिक्षण प्रभावहीन हो जाता है। इसलिए शिक्षक के व्यवहार में वैज्ञानिक तरीकों से सुधार लाना आवश्यक होता है।
3. शिक्षक व्यवहार के संशोधन के उद्देश्य (Objectives of Behaviour Modification):
- शिक्षण को अधिक प्रभावी, रोचक और छात्र-केंद्रित बनाना
- शिक्षक में आत्ममूल्यांकन की क्षमता विकसित करना
- प्रभावी शिक्षण कौशलों का विकास करना
- गलतियों को पहचानकर सुधार करना
- छात्रों के अधिगम स्तर में सुधार लाना
4. शिक्षक व्यवहार संशोधन की विशेषताएँ (Characteristics):
- यह प्रशिक्षण आधारित प्रक्रिया है
- प्रतिक्रिया (feedback) पर आधारित होती है
- मूल्यांकन और विश्लेषण द्वारा सुधार किया जाता है
- विज्ञान आधारित (जैसे प्रयोग, निरीक्षण, परीक्षण) प्रक्रिया है
- यह छोटे-छोटे कौशलों पर केंद्रित होती है
5. शिक्षक व्यवहार संशोधन की प्रमुख तकनीकें (Techniques of Teacher Behaviour Modification):
(i) सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching):
- एक लघु शिक्षण तकनीक है जिसमें किसी एक विशिष्ट शिक्षण कौशल (जैसे – प्रश्न पूछना, उदाहरण देना, समझाना) का अभ्यास कराया जाता है।
- 5-10 मिनट का पाठ, 5-10 छात्रों के सामने।
- वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है या प्रेक्षक द्वारा टिप्पणी की जाती है।
- फिर शिक्षक को फीडबैक दिया जाता है और दोबारा सुधार कर प्रदर्शन कराया जाता है।
मंच: अभ्यास → प्रतिक्रिया → पुनः अभ्यास → सुधार
(ii) प्रतिक्रिया तकनीक (Feedback Technique):
- कक्षा शिक्षण के बाद शिक्षक को उसकी शिक्षण शैली के बारे में तत्काल और रचनात्मक प्रतिक्रिया दी जाती है।
- यह सीधा (Direct) या वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से हो सकता है।
- इससे शिक्षक को अपनी गलतियाँ समझने और सुधारने का अवसर मिलता है।
(iii) मॉडलिंग तकनीक (Modeling Technique):
- शिक्षक को एक आदर्श शिक्षक (Model Teacher) का शिक्षण प्रदर्शन दिखाया जाता है।
- इससे शिक्षक यह देखता है कि प्रभावी शिक्षण कैसे किया जाता है।
- फिर वह उसी प्रकार अभ्यास करता है।
(iv) सिमुलेशन (Simulation Technique):
- एक काल्पनिक स्थिति बनाकर शिक्षक को कक्षा जैसी परिस्थिति में शिक्षण करवाया जाता है।
- इसमें भूमिका निभाना (Role Play) या केस स्टडी का प्रयोग होता है।
- यह व्यवहारिक प्रशिक्षण का प्रभावशाली तरीका है।
(v) स्व-मूल्यांकन (Self-evaluation):
- शिक्षक स्वयं अपने शिक्षण प्रदर्शन का निरीक्षण, मूल्यांकन और विश्लेषण करता है।
- इसे करने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग, चेकलिस्ट, रेटिंग स्केल आदि का प्रयोग किया जाता है।
ब्लॉग पर टिप्पणी और फ़ॉलो जरूर करे ताकि हर नयी पोस्ट आपकों मेल पर मिलें।6. शिक्षक व्यवहार संशोधन का लाभ (Benefits):
लाभ
विवरण
✔ प्रभावी शिक्षण
शिक्षक अधिक स्पष्ट, योजनाबद्ध और सहभागितापूर्ण तरीके से पढ़ाता है
✔ आत्मविश्वास में वृद्धि
शिक्षक को अपने शिक्षण कौशल पर विश्वास होता है
✔ छात्रों की सीखने की क्षमता बढ़ती है
छात्रों को बेहतर तरीके से समझ आता है
✔ अनुशासन में सुधार
कक्षा में सकारात्मक वातावरण बनता है
✔ शिक्षा वैज्ञानिक होती है
तर्क, विश्लेषण, प्रतिक्रिया आधारित शिक्षण होता है
निष्कर्ष (Conclusion):
शिक्षक व्यवहार का संशोधन एक आवश्यक एवं वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो न केवल शिक्षक के व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि संपूर्ण शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की गुणवत्ता सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से शिक्षण अधिक प्रभावशाली, छात्र-केंद्रित और व्यवहारिक बनता है।
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