शिक्षकों के व्यावसायिक विकास में चुनौतियाँ
(Challenges in Professional Development of Teachers)
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- स्कूली शिक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance to School Education)
- अयोग्य या अनुचित रूप से योग्य शिक्षक-प्रशिक्षक (Improperly Qualified Teacher Educators)
- शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों की गुणवत्ता का आश्वासन (Assurance of Quality of Teacher Education Programmes)
1. स्कूली शिक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance to School Education)
मुख्य समस्या:
शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (पूर्व-सेवा व सेवाकालीन) वास्तविक स्कूल की जरूरतों, छात्रों की विविधताओं और बदलती शिक्षण रणनीतियों से जुड़ाव नहीं रखते।
विस्तृत विवरण:
- सैद्धांतिक ज्ञान का बोझ: प्रशिक्षण कार्यक्रमों में व्यावहारिक शिक्षण अनुभव की तुलना में सैद्धांतिक विषयों पर अधिक जोर दिया जाता है।
- स्थानीय/सांस्कृतिक प्रसंग की उपेक्षा: स्थानीय भाषा, समाज व सांस्कृतिक विविधता को प्रशिक्षण में उचित स्थान नहीं मिलता।
- तकनीकी प्रासंगिकता की कमी: आज के डिजिटल युग में शिक्षक को ICT, स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन शिक्षण, आदि की जानकारी होनी चाहिए, लेकिन प्रशिक्षण कार्यक्रम इनसे कटे होते हैं।
- 21वीं सदी के कौशलों की उपेक्षा: जैसे – समालोचनात्मक सोच, सहयोगात्मक कार्य, समस्या समाधान आदि।
- कक्षा विविधता की अनदेखी: विकलांगता, सामाजिक-आर्थिक स्थिति या लैंगिक मुद्दों जैसे पहलुओं को प्रशिक्षण में समुचित स्थान नहीं मिलता।
2. अनुचित रूप से योग्य शिक्षक-प्रशिक्षक (Improperly Qualified Teacher Educators)
मुख्य समस्या:
जो लोग स्वयं शिक्षक प्रशिक्षक हैं, वे कभी-कभी आवश्यक ज्ञान, कौशल या अनुभव से वंचित होते हैं। इससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
विस्तृत विवरण:
- कम अनुभव वाले प्रशिक्षक: कई शिक्षक-प्रशिक्षकों ने कभी स्वयं विद्यालय में पढ़ाया ही नहीं होता, या उनका अनुभव सीमित होता है।
- शिक्षण विधियों का अपर्याप्त ज्ञान: नए शैक्षणिक दृष्टिकोण जैसे- समावेशी शिक्षा, बाल केंद्रित शिक्षण, और मल्टीग्रेड टीचिंग में दक्षता की कमी।
- योग्यता मानकों की अनदेखी: कुछ संस्थानों में नियुक्ति केवल शैक्षणिक डिग्री के आधार पर की जाती है, जबकि व्यावहारिक दक्षता की जांच नहीं होती।
- नवाचार और रिसर्च से दूरी: प्रशिक्षक शोध गतिविधियों में भाग नहीं लेते या शैक्षिक नवाचारों से अपरिचित रहते हैं।
- समय-समय पर प्रशिक्षण की कमी: प्रशिक्षकों का स्वयं का व्यावसायिक विकास उपेक्षित रहता है।
3. शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों की गुणवत्ता का आश्वासन (Assurance of Quality of Teacher Education Programmes)
मुख्य समस्या:
शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रभावी, पारदर्शी और नियमित तंत्र नहीं है।
विस्तृत विवरण:
- प्रशिक्षण संस्थानों की असमान गुणवत्ता: निजी व सरकारी संस्थानों के बीच संसाधनों, संकाय, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि में भारी अंतर।
- मान्यता प्रक्रिया में भ्रष्टाचार: कई संस्थानों को बिना आवश्यक शर्तों को पूरा किए ही मान्यता मिल जाती है।
- पाठ्यक्रम की अद्यतन प्रक्रिया धीमी: तेजी से बदलते शैक्षणिक परिवेश के अनुरूप पाठ्यक्रमों का नियमित पुनरीक्षण नहीं किया जाता।
- सीखने के परिणामों की स्पष्टता नहीं: यह स्पष्ट नहीं होता कि प्रशिक्षण के बाद शिक्षक में कौन-कौन से व्यावसायिक गुण विकसित हुए हैं।
- निगरानी और मूल्यांकन की कमी: प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर कोई सशक्त निगरानी प्रणाली या अकादमिक मूल्यांकन नहीं होता।
- शिक्षकों से फीडबैक नहीं लिया जाता: शिक्षक प्रशिक्षण के बाद कितना उपयोगी लगा, इस पर प्रतिक्रिया लेने का कोई औपचारिक तरीका नहीं होता।
निष्कर्ष (Conclusion):
शिक्षकों के व्यावसायिक विकास को प्रभावशाली, प्रासंगिक और उच्च गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए ज़रूरी है कि:
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्कूली वास्तविकताओं के साथ जोड़ा जाए,
- योग्य, अनुभवसंपन्न और प्रशिक्षित शिक्षक-प्रशिक्षकों की नियुक्ति हो,
- गुणवत्ता नियंत्रण के लिए पारदर्शी, सतत और व्यावहारिक मूल्यांकन प्रणाली अपनाई जाए।
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