NGO द्वारा सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहल
(Initiatives of NGOs in In-Service Teacher Education Programmes)
ब्लॉग पर टिप्पणी और फ़ॉलो जरूर करे ताकि हर नयी पोस्ट आपकों मेल पर मिलें।गैर-सरकारी संगठन (NGOs) देश के शिक्षा तंत्र को सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेषकर सेवारत (इन-सर्विस) शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों (In-service Teacher Education Programmes) के डिज़ाइन और कार्यान्वयन में। ये संगठन सरकार की पहलों के पूरक बनकर शिक्षकों को अद्यतन (updated), व्यावहारिक और अभिनव प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। NGOs की प्रमुख पहलों को विस्तार से समझाया गया है:
1. व्यावहारिक शिक्षण विधियों पर प्रशिक्षणNGOs शिक्षकों को पारंपरिक विधियों से हटकर बच्चों को संलग्न (engage) करने वाली शिक्षण पद्धतियाँ सिखाते हैं। जैसे: एक्टिव लर्निंग, इंटरेक्टिव टीचिंग, आर्ट इंटीग्रेशन आदि।
2. शिक्षा में नवाचार (Innovation in Education)
NGOs नवीन शिक्षण सामग्री, डिजिटल टूल्स और अभिनव पद्धतियाँ जैसे माइंडमैपिंग, स्टोरीटेलिंग, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा आदि का प्रशिक्षण देते हैं।
3. स्थानीय भाषा एवं संदर्भ आधारित सामग्री का निर्माण
NGOs स्थानीय भाषा, संस्कृति और बच्चों की सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण सामग्री और पाठ्यक्रम डिज़ाइन करते हैं।
4. डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy)
समय की मांग को देखते हुए NGOs डिजिटल उपकरणों (जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, शैक्षिक ऐप्स आदि) के प्रयोग हेतु शिक्षकों को प्रशिक्षित करते हैं।
5. कक्षा प्रबंधन (Classroom Management) कौशल
NGOs शिक्षकों को यह सिखाते हैं कि विविध पृष्ठभूमि से आए बच्चों के समूह में अनुशासन, सहभागिता और सीखने का अनुकूल वातावरण कैसे बनाया जाए।
6. विषय-विशेष प्रशिक्षण
गणित, विज्ञान, भाषा आदि जैसे विशिष्ट विषयों में NGOs विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा गहन प्रशिक्षण कार्यशालाएं संचालित करते हैं।
7. प्रशिक्षण में सतत सहायकता (Continuous Support)
NGOs केवल एक बार प्रशिक्षण न देकर, प्रशिक्षण के पश्चात् स्कूल विज़िट, फॉलो-अप, मेंटरिंग और समीक्षा सत्र आयोजित करते हैं।
8. स्कूल-स्तरीय संलग्नता
NGOs स्कूलों से सीधे जुड़कर स्कूल-आधारित प्रशिक्षण (School-Based Teacher Development) को प्रोत्साहित करते हैं ताकि प्रशिक्षण अधिक प्रभावी हो।
9. शिक्षकों के आत्म-मूल्यांकन और प्रतिबिंबन (Self-reflection) पर ज़ोर
NGOs शिक्षकों को स्वयं के शिक्षण के मूल्यांकन और उसमें सुधार हेतु प्रेरित करते हैं।
10. गुणवत्ता सुधार पर केंद्रित प्रशिक्षण
NGOs प्रशिक्षकों को यह सिखाते हैं कि छात्रों के अधिगम परिणामों (learning outcomes) में सुधार कैसे लाया जाए।
11. इन्क्लूसिव एजुकेशन (Inclusive Education)
NGOs शिक्षकों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (Divyang learners) के साथ कैसे प्रभावी रूप से पढ़ाएं, इसका प्रशिक्षण देते हैं।
12. अंतरवैयक्तिक कौशल (Interpersonal Skills) पर ज़ोर
प्रभावी संप्रेषण, सहकर्मियों के साथ समन्वय और नेतृत्व कौशल विकसित करने हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है।
13. शिक्षकों के नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का निर्माण
NGOs शिक्षकों के लिए समुदाय या प्लेटफॉर्म तैयार करते हैं जहाँ वे आपस में अनुभव साझा कर सकें।
14. ऑनलाइन/हाइब्रिड प्रशिक्षण मॉड्यूल
COVID-19 के बाद कई NGOs ने ऑनलाइन एवं मिश्रित (blended) प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए हैं जो लचीले और अधिक सुलभ हैं।
15. सरकारी संगठनों के साथ भागीदारी
NGOs राज्य शिक्षा बोर्ड, SCERT, DIET आदि के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करते हैं।
16. समय-समय पर अनुसंधान आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम
NGOs शिक्षकों की ज़रूरतों पर शोध करते हैं और उसी के अनुरूप प्रशिक्षण योजनाएँ बनाते हैं।
17. शिक्षकों की पेशेवर पहचान को सशक्त करना
प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षकों को आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
18. समुदाय की सहभागिता बढ़ाना
NGOs यह भी सिखाते हैं कि अभिभावकों और स्थानीय समुदाय को शिक्षा में कैसे जोड़ा जाए।
19. बाल अधिकारों और लैंगिक संवेदनशीलता पर प्रशिक्षण
NGOs शिक्षकों को बाल सुरक्षा, बाल अधिकार, लैंगिक समता, POCSO कानून आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं।
20. मूल्यांकन के आधुनिक तरीकों पर प्रशिक्षण
NGOs शिक्षकों को वैकल्पिक मूल्यांकन (जैसे - पोर्टफोलियो, परियोजना, गतिविधि आधारित मूल्यांकन) के बारे में सिखाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
NGOs द्वारा संचालित सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षा प्रणाली को अधिक उत्तरदायी, अभिनव और समावेशी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन पहलों से न केवल शिक्षकों की क्षमता में वृद्धि होती है, बल्कि छात्र अधिगम भी प्रभावशाली होता है।
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