शनिवार, 12 जुलाई 2025

Assessment Process मूल्यांकन प्रक्रिया

 


 

Assessment Process

मूल्यांकन प्रक्रिया 

(A) छात्र मूल्यांकन की तकनीकें (Pupil Assessment Techniques)

    छात्र मूल्यांकन की तकनीकें वे विधियाँ होती हैं जिनके माध्यम से शिक्षक यह पता लगाते हैं कि छात्र ने कितनी जानकारी सीखी है, उसे कैसे समझा है और वह उसे व्यवहार में कैसे प्रयोग करता है। कुछ प्रमुख तकनीकें:

1. मौखिक परीक्षण (Oral Tests): मौखिक रूप से प्रश्न पूछकर छात्र की समझ और अभिव्यक्ति की क्षमता को परखा जाता है।

2. लिखित परीक्षण (Written Tests): प्रश्नपत्र के माध्यम से ज्ञान, समझ, विश्लेषण व सृजनात्मकता का मूल्यांकन किया जाता है।

3. अवलोकन विधि (Observation Method): कक्षा में या क्रियाकलापों में छात्र की भागीदारी को देखकर मूल्यांकन किया जाता है।

4. स्व-मूल्यांकन (Self-assessment): छात्र स्वयं अपनी प्रगति का मूल्यांकन करता है।

5. समूह मूल्यांकन (Peer Assessment): सहपाठी एक-दूसरे के कार्य का मूल्यांकन करते हैं।

6. परियोजना कार्य (Project Work): लंबे समय तक चलने वाले कार्यों से छात्र की योजना, अनुसंधान, प्रस्तुतीकरण व सृजनात्मकता का मूल्यांकन किया जाता है।

(B) मूल्यांकन की अवधारणा एवं सतत एवं समग्र मूल्यांकन (CCE)

मूल्यांकन की अवधारणा (Concept of Evaluation):

मूल्यांकन केवल अंक देने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह छात्र के संपूर्ण विकास (ज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक और कौशलात्मक) का आकलन है। इसमें यह देखा जाता है कि छात्र ने क्या सीखा है और वह उसे कैसे लागू कर पाता है।

CCE (सतत एवं समग्र मूल्यांकन):

CCE का अर्थ है –

सतत (Continuous): यह मूल्यांकन निरंतर प्रक्रिया है, जो पूरे सत्र में समय-समय पर किया जाता है।

समग्र (Comprehensive): इसमें केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का ही नहीं, बल्कि सह-शैक्षणिक गतिविधियों जैसे व्यवहार, रुचियाँ, नैतिक मूल्य, सामाजिक कौशल आदि का भी मूल्यांकन किया जाता है।

CCE का उद्देश्य है विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना।


(C) मूल्यांकन के प्रकार (Types of Evaluation):

1. प्रारंभिक मूल्यांकन (Formative Evaluation):

  • यह सीखने की प्रक्रिया के दौरान किया जाता है।
  • शिक्षक को यह जानने में मदद करता है कि छात्र कहाँ तक पहुँचा है।
  • उदाहरण: दैनिक गृहकार्य, मौखिक उत्तर, क्विज़, प्रोजेक्ट आदि।

2. समापक मूल्यांकन (Summative Evaluation):

  • यह एक निश्चित अवधि के अंत में किया जाता है जैसे – त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक परीक्षा।
  • इसका उद्देश्य छात्र की कुल उपलब्धियों को मापना होता है।

3. नैदानिक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation):

  • यह तब किया जाता है जब यह जानना हो कि छात्र को किस क्षेत्र में कठिनाई हो रही है।
  • यह व्यक्तिगत समस्या को पहचानने में सहायक होता है।

(D) नैदानिक परीक्षण एवं उपचारात्मक शिक्षण (Diagnostic Testing & Remedial Teaching):

1. नैदानिक परीक्षण (Diagnostic Testing):

  • यह परीक्षण यह पहचानने के लिए होता है कि छात्र को कहाँ और किस प्रकार की कठिनाई हो रही है।
  • यह एक विशेष प्रकार का परीक्षण होता है जिसमें त्रुटियों के कारणों का पता लगाया जाता है।

2. उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching):

  • नैदानिक परीक्षण से ज्ञात कठिनाइयों को दूर करने के लिए जो विशेष शिक्षण प्रदान किया जाता है उसे उपचारात्मक शिक्षण कहते हैं।
  • इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी कमज़ोरियों पर कार्य करके सीखने में सक्षम बनाना है।

(E) छात्र अभिलेख (Student Records):

    छात्र अभिलेख वे दस्तावेज होते हैं जिनमें छात्र की शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी संग्रहीत होती है।

इनमें शामिल होते हैं:

  • उपस्थिति विवरण
  • परीक्षा परिणाम
  • सह-शैक्षणिक गतिविधियाँ
  • नैतिक और सामाजिक व्यवहार
  • अभिरुचियाँ और विशेष योग्यताएँ
  • छात्र अभिलेख शिक्षकों, माता-पिता और प्रशासन को छात्र के विकास की जानकारी देने का माध्यम होते हैं।

(F) संचयी अभिलेख (Cumulative Records):

  • संचयी अभिलेख एक विस्तृत और क्रमिक अभिलेख होता है जिसमें छात्र के विद्यालय में प्रवेश से लेकर उसके बाहर जाने तक की संपूर्ण प्रगति का विवरण होता है।
  • यह शैक्षणिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक तथा नैतिक विकास का लेखा-जोखा होता है।
  • इसका उद्देश्य दीर्घकालिक प्रगति का विश्लेषण करना होता है।

विशेषताएँ:

  • व्यक्तिगत व पूर्ण विवरण
  • समय के साथ निरंतर अद्यतन
  • मूल्यांकन, व्यवहार, स्वास्थ्य, सहभागिता आदि का रिकॉर्ड

(G) प्रगति रिपोर्ट व ग्रेडिंग प्रणाली (Progress Reports & Grading System):

प्रगति रिपोर्ट (Progress Report):

  • यह एक दस्तावेज होती है जो अभिभावकों को यह जानकारी देती है कि छात्र ने कितनी प्रगति की है।
  • इसमें विषयवार अंक/ग्रेड, शिक्षकों की टिप्पणियाँ, उपस्थिति विवरण, व्यवहार व गतिविधियों का मूल्यांकन होता है।

ग्रेडिंग प्रणाली (Grading System):

  • यह मूल्यांकन की एक विधि है जिसमें छात्र को अंकों के बजाय ग्रेड्स दिए जाते हैं।
  • जैसे: A1, A2, B1, B2... या Excellent, Very Good, Good, Satisfactory, आदि।

ग्रेडिंग प्रणाली के लाभ:

  • छात्र में प्रतिस्पर्धा का तनाव कम होता है।
  • मूल्यांकन अधिक समग्र और संतुलित होता है।
  • त्रुटियों की संभावना कम होती है। 

"Assessment Process" (मूल्यांकन प्रक्रिया) पर आधारित सारणी (Comparative Table)

सारणी: मूल्यांकन प्रक्रिया के प्रमुख बिंदुओं की तुलना

क्रमांक

घटक / शीर्षक

संक्षिप्त विवरण

(A)

छात्र मूल्यांकन तकनीकें

मौखिक, लिखित, अवलोकन, स्व-मूल्यांकन, समूह मूल्यांकन, परियोजना कार्य आदि।

(B)

मूल्यांकन की अवधारणा एवं CCE

सतत और समग्र प्रक्रिया, जिसमें छात्र के संपूर्ण विकास का मूल्यांकन किया जाता है।

(C)

मूल्यांकन के प्रकार

प्रारंभिक (Formative), समापक (Summative), नैदानिक (Diagnostic)

(D)

नैदानिक परीक्षण व उपचारात्मक शिक्षण

कठिनाइयाँ पहचानकर विशेष शिक्षण देना; सीखने की समस्याओं को दूर करना।

(E)

छात्र अभिलेख

शैक्षणिक, उपस्थिति, गतिविधियों, व्यवहार आदि का रिकॉर्ड।

(F)

संचयी अभिलेख

छात्र की दीर्घकालिक संपूर्ण प्रगति का अभिलेख।

(G)

प्रगति रिपोर्ट व ग्रेडिंग प्रणाली

ग्रेड आधारित रिपोर्ट जो छात्रों की उपलब्धि और विकास को अभिभावकों तक पहुँचाती है।

प्रश्नोत्तर (Questions and Answers):

प्रश्न 1: मूल्यांकन (Evaluation) क्या है?

उत्तर:
मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यह निर्धारित किया जाता है कि छात्र ने क्या सीखा है, कितना सीखा है और वह उसे कैसे व्यवहार में ला सकता है। इसमें छात्र के ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और मूल्यों का समग्र परीक्षण किया जाता है।

प्रश्न 2: CCE का पूर्ण रूप क्या है? इसके दो मुख्य घटक क्या हैं?

उत्तर:
CCE का पूर्ण रूप है – Continuous and Comprehensive Evaluation (सतत एवं समग्र मूल्यांकन)।
इसके दो मुख्य घटक हैं:

  1. सतत मूल्यांकन (Continuous Evaluation)
  2. समग्र मूल्यांकन (Comprehensive Evaluation)

प्रश्न 3: प्रारंभिक एवं समापक मूल्यांकन में क्या अंतर है?

बिंदु

प्रारंभिक मूल्यांकन (Formative)

समापक मूल्यांकन (Summative)

समय

शिक्षण प्रक्रिया के दौरान

शिक्षण के अंत में

उद्देश्य

सुधार हेतु जानकारी प्राप्त करना

छात्र की कुल उपलब्धि को मापना

उदाहरण

होमवर्क, क्विज़, मौखिक उत्तर

वार्षिक परीक्षा, टर्म एंड परीक्षा

प्रश्न 4: नैदानिक परीक्षण (Diagnostic Test) का उद्देश्य क्या है?

उत्तर:
नैदानिक परीक्षण का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि छात्र को किस क्षेत्र में और किस प्रकार की कठिनाई हो रही है, ताकि उसे लक्षित उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) दिया जा सके।

प्रश्न 5: ग्रेडिंग प्रणाली के लाभ क्या हैं?

उत्तर:

  • छात्रों में तनाव और प्रतिस्पर्धा को कम करता है।
  • व्यक्तित्व और व्यवहार का भी आकलन संभव होता है।
  • मूल्यांकन अधिक समग्र और लचीला होता है।
  • शिक्षक को प्रत्येक छात्र पर केंद्रित प्रतिक्रिया देने का अवसर मिलता है।

 प्रश्न 6: संचयी अभिलेख (Cumulative Record) क्या होता है?

उत्तर:
संचयी अभिलेख एक दीर्घकालिक दस्तावेज होता है जिसमें छात्र की समस्त प्रगति, रुचियाँ, व्यवहार, स्वास्थ्य, उपस्थिति, सामाजिक गुण आदि का क्रमबद्ध लेखा-जोखा होता है।

 प्रश्न 7: प्रगति रिपोर्ट में कौन-कौन से घटक सम्मिलित होते हैं?

उत्तर:

  • विषयवार ग्रेड या अंक
  • उपस्थिति विवरण
  • शिक्षक की टिप्पणियाँ
  • सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भागीदारी
  • नैतिक व सामाजिक व्यवहार की जानकारी
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