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ब्रेनस्टॉर्मिंग (Brainstorming)
1. परिभाषा:
ब्रेनस्टॉर्मिंग एक समूह आधारित शिक्षण विधि है, जिसमें किसी समस्या के समाधान हेतु प्रतिभागियों को स्वतंत्र रूप से विचार प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसमें रचनात्मकता और स्वतंत्र सोच को बढ़ावा दिया जाता है।
उदाहरण: "विद्यालय में विद्यार्थियों की अनुपस्थिति कम करने के उपाय क्या हो सकते हैं?" — इस प्रकार के प्रश्न पर समूह में विचार मंथन किया जाता है।
2. उद्देश्य:
- रचनात्मक एवं स्वतंत्र चिंतन को प्रोत्साहन देना।
- समस्याओं के नवीन व वैकल्पिक समाधान खोजने में सहायता करना।
- सहभागिता और सामूहिक निर्णय की भावना को बढ़ावा देना।
- ज्ञान, अनुभव और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करवाना।
- विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति कौशल विकसित करना।
3. मुख्य विशेषताएँ:
- समूह आधारित गतिविधि होती है।
- विचारों की मात्रा पर बल दिया जाता है, गुणवत्ता पर बाद में चर्चा होती है।
- किसी भी विचार की आलोचना नहीं की जाती।
- विचारों को एकत्रित किया जाता है – चाहे वे व्यवहारिक हों या न हों।
- खुलापन, सहयोग और रचनात्मकता का वातावरण होता है।
4. प्रक्रिया (Steps of Brainstorming):
- समस्या का चयन: शिक्षार्थियों को स्पष्ट रूप से समस्या बताई जाती है।
- नियमों की जानकारी: जैसे – आलोचना नहीं, अधिक से अधिक विचार देना, सभी को बोलने का अवसर देना।
- विचार सत्र: विद्यार्थी बारी-बारी से अपने विचार प्रस्तुत करते हैं।
- विचारों को दर्ज करना: सभी विचारों को ब्लैकबोर्ड/पेपर पर लिखा जाता है।
- विश्लेषण एवं वर्गीकरण: विचारों का विश्लेषण कर उपयुक्त सुझाव चुने जाते हैं।
- समाधान चयन: सर्वश्रेष्ठ विचार को अंतिम समाधान के रूप में चुना जाता है।
5. प्रकार (Types of Brainstorming):
- स्वतंत्र ब्रेनस्टॉर्मिंग (Individual): विद्यार्थी अकेले विचार प्रस्तुत करता है।
- समूह ब्रेनस्टॉर्मिंग (Group): पूरी कक्षा या एक छोटा समूह मिलकर विचार करता है।
- मूक ब्रेनस्टॉर्मिंग (Silent): विद्यार्थी विचार लिखकर प्रस्तुत करते हैं, मौखिक रूप से नहीं।
- रोल स्टॉर्मिंग: प्रतिभागी किसी विशेष भूमिका को निभाते हुए विचार देते हैं।
6. लाभ (Advantages):
- नवाचार और रचनात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है।
- सभी विद्यार्थियों को भागीदारी का अवसर मिलता है।
- समूह में कार्य करने की भावना का विकास होता है।
- निर्णय लेने और समस्या समाधान की क्षमता में वृद्धि होती है।
- आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति शक्ति बढ़ती है।
7. सीमाएँ (Limitations):
- समय की अधिक आवश्यकता होती है।
- कुछ विद्यार्थी सक्रिय नहीं हो पाते।
- विचारों की अधिकता से भ्रम की स्थिति हो सकती है।
- यदि सही संचालन न हो तो विषय से भटकाव संभव है।
- सभी विचार व्यवहारिक नहीं होते।
8. शिक्षक की भूमिका (Role of Teacher):
- समस्या का उपयुक्त चयन करना।
- प्रक्रिया के नियमों को स्पष्ट करना।
- सभी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।
- निष्पक्ष रूप से विचारों को दर्ज करना।
- विश्लेषण में मार्गदर्शन करना।
- सकारात्मक वातावरण बनाए रखना।
9. निष्कर्ष (Conclusion):
ब्रेनस्टॉर्मिंग एक प्रभावशाली शिक्षण विधि है जो विद्यार्थियों के विचारों, रचनात्मकता और सहयोग की भावना को विकसित करती है। यदि सही ढंग से उपयोग किया जाए तो यह शिक्षण को अधिक प्रभावशाली और सहभागी बना सकती है।
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