रविवार, 27 जुलाई 2025

शिक्षण की अवस्थाएँ (Stages of Teaching)

 

शिक्षण की अवस्थाएँ

(Stages of Teaching)


शिक्षण एक जटिल प्रक्रिया है, जो तीन मुख्य अवस्थाओं में विभाजित की जाती है:

  1. पूर्व-सक्रिय अवस्था (Pre-active Stage)
  2. सक्रिय अवस्था (Inter-active Stage)
  3. उत्तर-सक्रिय अवस्था (Post-active Stage)

यह विभाजन सर्वप्रथम भारतीय शिक्षाविद् बी. एस. ब्लूम (B.S. Bloom) और नैथ मायल (N.L. Gage) ने किया था। आइए इन तीनों अवस्थाओं को विस्तार से समझते हैं:

1. पूर्व-सक्रिय अवस्था (Pre-active Stage)

यह शिक्षण की योजना बनाने की अवस्था होती है। इस चरण में शिक्षक यह तय करता है कि क्या पढ़ाना है, कैसे पढ़ाना है, और क्यों पढ़ाना है। इस अवस्था को योजना निर्माण की अवस्था भी कहा जाता है।

मुख्य क्रियाएँ:

  • शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण (Instructional Objectives): जैसे – ज्ञान, समझ, अनुप्रयोग आदि स्तरों पर शिक्षार्थियों को पहुँचाना।
  • पाठ योजना बनाना (Lesson Planning): शिक्षक पाठ से संबंधित सामग्री, शिक्षण विधियों, संसाधनों और गतिविधियों की योजना बनाता है।
  • पूर्व ज्ञान का आकलन (Assessment of Prior Knowledge): विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान और पृष्ठभूमि को समझना।
  • सहायक सामग्री और संसाधनों का चयन (Teaching Aids): जैसे – चार्ट, मॉडल, प्रोजेक्टर, पावरपॉइंट आदि।
  • वर्ग नियंत्रण रणनीतियों की योजना (Classroom Management Planning): जैसे – समूह कार्य, प्रश्नोत्तरी, शांति बनाए रखने की योजना आदि।

2. सक्रिय अवस्था (Inter-active Stage)

यह वह चरण है जब वास्तविक शिक्षण कक्षा में होता है। इस अवस्था में शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इसे प्रस्तुतीकरण और संप्रेषण की अवस्था भी कहते हैं।

मुख्य क्रियाएँ:

  • शिक्षण का संचालन (Actual Teaching): पाठ को समझाने के लिए शिक्षक द्वारा विभिन्न विधियाँ अपनाई जाती हैं जैसे व्याख्यान, संवाद, प्रयोग, उदाहरण आदि।
  • प्रश्न पूछना और उत्तर देना (Questioning & Answering): शिक्षक छात्रों से प्रश्न पूछता है, और उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर शिक्षा को आगे बढ़ाता है।
  • प्रतिक्रिया (Feedback): शिक्षक छात्रों की प्रतिक्रियाओं और facial expressions से यह समझता है कि वे समझ पा रहे हैं या नहीं।
  • प्रेरणा देना (Motivation): छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित करना।
  • समूह चर्चा/गतिविधियाँ (Group Activities): छात्रों को अधिक भागीदारी का अवसर देने के लिए।

3. उत्तर-सक्रिय अवस्था (Post-active Stage)

यह शिक्षण का मूल्यांकन और पुनरावलोकन करने की अवस्था है। इसे मूल्यांकन और सुधार की अवस्था भी कहा जाता है।

मुख्य क्रियाएँ:

  • सीखने का मूल्यांकन (Evaluation of Learning): जैसे – मौखिक परीक्षा, लिखित परीक्षा, गृहकार्य आदि के माध्यम से छात्रों की उपलब्धियों को परखा जाता है।
  • प्रतिक्रिया विश्लेषण (Feedback Analysis): छात्रों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर शिक्षण की प्रभावशीलता को समझा जाता है।
  • शिक्षण में सुधार की योजना (Remedial Planning): जहाँ आवश्यकता हो वहाँ पुनः शिक्षण या सुधारात्मक शिक्षण किया जाता है।
  • स्व-मूल्यांकन (Self-evaluation): शिक्षक अपने कार्य की समीक्षा करता है – उसने क्या अच्छा किया और क्या सुधार की आवश्यकता है।

सारांश (Summary in Table Form):

अवस्था

मुख्य उद्देश्य

गतिविधियाँ

पूर्व-सक्रिय

योजना बनाना

पाठ योजना, उद्देश्यों का निर्धारण

सक्रिय

शिक्षण करना

प्रस्तुतीकरण, संवाद, प्रश्नोत्तर

उत्तर-सक्रिय

मूल्यांकन एवं सुधार

मूल्यांकन, फीडबैक, सुधारात्मक शिक्षण

 

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