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सेमिनार (Seminar)
1. परिभाषा (Definition):
सेमिनार एक संगठित और औपचारिक शैक्षिक बैठक (Academic Session) होती है, जिसमें विद्यार्थी या विशेषज्ञ किसी विशिष्ट विषय (Specific Topic) पर प्रस्तुति (Presentation) देते हैं और फिर चर्चा (Discussion) की जाती है।
2. उद्देश्य (Objectives):
- विशिष्ट विषय का गहन अध्ययन कराना।
- छात्रों की प्रस्तुतीकरण क्षमता और संचार कौशल को विकसित करना।
- आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक चिंतन को बढ़ावा देना।
- छात्र में स्वयं अध्ययन (Self-study) की आदत विकसित करना।
3. प्रमुख विशेषताएँ (Key Features):
- यह छोटे समूहों में आयोजित होता है।
- छात्र स्वयं विषय तैयार करके प्रस्तुत करते हैं।
- प्रस्तुतिकरण के बाद प्रश्नोत्तर और चर्चा होती है।
- शिक्षक का रोल मार्गदर्शक (Facilitator) का होता है।
4. आयोजन की प्रक्रिया (Steps of Conducting a Seminar):
चरण
विवरण
1
विषय का चयन – शिक्षक या छात्र किसी उपयुक्त विषय का चुनाव करते हैं।
2
तैयारी – छात्र विषय पर साहित्य पढ़ते हैं और प्रस्तुति तैयार करते हैं।
3
प्रस्तुतीकरण – छात्र निर्धारित समय में विषय प्रस्तुत करता है।
4
चर्चा और प्रश्नोत्तर – प्रतिभागी प्रश्न पूछते हैं, वक्ता उत्तर देता है।
5
समीक्षा और निष्कर्ष – शिक्षक प्रस्तुति का विश्लेषण और सुधारात्मक सुझाव देता है।
5. प्रकार (Types of Seminar):
प्रकार
विवरण
छात्र सेमिनार
विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुति और चर्चा।
शिक्षक सेमिनार
शिक्षक द्वारा विषय की प्रस्तुति।
अनुसंधान सेमिनार
शोध विषयों पर चर्चा और समीक्षा।
विशेषज्ञ सेमिनार
किसी क्षेत्र के विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तुति।
6. लाभ (Advantages):
- छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सार्वजनिक बोलने की क्षमता (Public Speaking) विकसित होती है।
- गहन अध्ययन और तर्कशक्ति का विकास होता है।
- विषय की विविध व्याख्याओं को समझने का अवसर मिलता है।
7. सीमाएँ (Limitations):
- सभी छात्रों की भागीदारी सीमित हो सकती है।
- तैयारी के लिए अधिक समय की आवश्यकता।
- संकोची छात्र कम बोलते हैं।
- प्रस्तुति की गुणवत्ता छात्र की तैयारी पर निर्भर करती है।
8. शिक्षक की भूमिका (Role of Teacher):
- विषय का चयन और दिशा-निर्देशन देना।
- छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करना।
- चर्चा को नियंत्रित और सार्थक बनाना।
- मूल्यांकन और फीडबैक देना।
निष्कर्ष (Conclusion):
सेमिनार एक शिक्षक और छात्र के बीच विचार-विमर्श आधारित शिक्षण विधि है जो उच्च सोच कौशल, विश्लेषण, प्रस्तुतीकरण और आत्म-अध्ययन की संस्कृति को प्रोत्साहित करती है। यह उच्च शिक्षा में अत्यंत प्रभावशाली विधि मानी जाती है।
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