रविवार, 29 जून 2025

सामाजिककरण Socialisation

 सामाजिककरण की प्रकृति और प्रक्रियाओं की समझ
(Understanding the Nature and Processes of Socialisation)

1. सामाजिक प्रणाली (Social System): अवधारणा एवं विशिष्ट विशेषताएँ

अर्थ / अवधारणा:

सामाजिक प्रणाली एक संगठित संरचना होती है जिसमें विभिन्न व्यक्ति, समूह, संस्थाएँ और उनकी भूमिकाएँ एक-दूसरे से संबंधित होती हैं। यह एक सामाजिक ढांचा है जो सामाजिक कार्यों, मूल्यों और मानदंडों को नियमित करता है।

मुख्य विशेषताएँ (Specific Characteristics):

  • समूहों की परस्पर क्रिया: इसमें व्यक्ति और समूह आपसी सहयोग और संबंधों के माध्यम से जुड़ते हैं।
  • सामाजिक भूमिकाएँ: प्रत्येक सदस्य की एक निश्चित सामाजिक भूमिका होती है, जैसे माता-पिता, शिक्षक, छात्र आदि।
  • मानदंड और मूल्य: सामाजिक प्रणाली में सामान्य आचरण के नियम होते हैं जिन्हें समाज स्वीकृति देता है।
  • सामाजिक संस्थाएँ: परिवार, विद्यालय, धर्म, सरकार आदि इसके अंग होते हैं।
  • संतुलन और स्थायित्व: यह प्रणाली सामाजिक संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है।
  • गति और परिवर्तनशीलता: सामाजिक प्रणाली समय और परिस्थिति अनुसार परिवर्तनशील होती है।

2. शिक्षा एक सामाजिक उप-प्रणाली एवं सामाजिक प्रक्रिया के रूप में

(Education as a Social Sub-System and Social Process)


(i) शिक्षा एक सामाजिक उप-प्रणाली (Sub-System) के रूप में:

  • समाज अनेक उप-प्रणालियों से मिलकर बना है – जैसे आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षिक आदि।
  • शिक्षा समाज की एक महत्त्वपूर्ण उप-प्रणाली है जो सामाजिक मूल्यों, ज्ञान और संस्कृति को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करती है।
  • यह अन्य प्रणालियों (जैसे परिवार, धर्म, राजनीति) से जुड़ी होती है।
  • शिक्षा समाज की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करती है और उसमें परिवर्तन लाती है।

(ii) शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया (Social Process) के रूप में:

  • सामाजिक प्रक्रिया वह होती है जिसमें व्यक्ति समाज के नियमों, मानदंडों और सांस्कृतिक मूल्यों को सीखता है।
  • शिक्षा सामाजिकरण (socialisation), समाजीकरण और व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया है।
  • यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो औपचारिक (formal), अनौपचारिक (informal), एवं अर्ध-औपचारिक (non-formal) रूपों में होती है।

3. सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा (Social Change and Education)

(i) सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा (Concept of Social Change):

  • सामाजिक परिवर्तन से तात्पर्य है समाज की संरचना, क्रियाओं, मान्यताओं, मूल्यों और संस्थाओं में समय के साथ होने वाला परिवर्तन।

(ii) सामाजिक परिवर्तन का अर्थ (Meaning):

  • समाज में जब नए विचार, तकनीकी विकास, नए कानून या सांस्कृतिक प्रभाव आते हैं, तो सामाजिक व्यवहार, संस्थाएं और संरचनाएं बदलती हैं।
  • यह परिवर्तन क्रमिक भी हो सकता है और अचानक भी (जैसे कोई आंदोलन या क्रांति)।

(iii) सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया (Process of Social Change):

  • यह धीरे-धीरे विकसित होने वाली प्रक्रिया है जो विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों से होती है।
  • यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और समाज की प्रगति में सहायक होती है।

(iv) सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Social Change):

  • प्रौद्योगिकी (Technology) – नई तकनीक सामाजिक जीवन को पूरी तरह बदल देती है।
  • शिक्षा – सामाजिक जागरूकता, सोच और दृष्टिकोण में परिवर्तन लाती है।
  • राजनीतिक आंदोलन और क्रांति – जैसे स्वतंत्रता संग्राम।
  • धार्मिक सुधार आंदोलन – जैसे आर्य समाज, ब्रह्म समाज।
  • वैश्वीकरण – सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव।
  • संचार माध्यम (Media) – जनमत और विचारधारा को प्रभावित करता है।

(v) सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका (Role of School in Social Change):

  • नई सोच और दृष्टिकोण विकसित करना- विद्यालय बच्चों को वैज्ञानिक, तार्किक एवं सहिष्णु सोच सिखाता है।
  • समानता और समरसता का प्रचारविद्यालय जाति, धर्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर समान शिक्षा प्रदान करता है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण एवं विकास- विद्यालय संस्कृति को सुरक्षित रखकर उसमें नवाचार का समावेश करता है।
  • नेतृत्व और सामाजिक उत्तरदायित्व का विकासविद्यार्थी भविष्य के नेता बनते हैं और समाज सेवा का भाव सीखते हैं।
  • सामाजिक सुधारों के लिए प्रेरणा- जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों पर शिक्षा।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा- विद्यालय नागरिक अधिकारों, कर्तव्यों, और लोकतंत्र की भावना को मजबूत करता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

    सामाजिककरण की प्रक्रिया के अंतर्गत व्यक्ति समाज के अनुरूप ढलता है और समाज को भी शिक्षित व्यक्ति नई दिशा देता है।

    शिक्षा न केवल सामाजिक उप-प्रणाली है, बल्कि समाज के परिवर्तन, प्रगति और समरसता का मूल साधन भी है। विद्यालय इस प्रक्रिया का केंद्र है जो भावी समाज की संरचना करता है।

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