सोमवार, 9 जून 2025

विकासात्मक विधि (Developmental Method)

 विकासात्मक विधि (Developmental Method)

1: परिचय एवं परिभाषा

1.1 परिचय:

- विकासात्मक विधि एक ऐसी अनुसंधान विधि है जो व्यक्ति, समूह या संस्था के विकास को समय के साथ समझने और उसका मूल्यांकन करने के लिए उपयोग की जाती है।

- इसमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व बौद्धिक विकास को क्रमिक रूप से अध्ययन किया जाता है।

1.2 परिभाषा:

- “विकासात्मक विधि वह शोध तकनीक है जिसमें किसी व्यक्ति या समूह के व्यवहार में समय के साथ आने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।”

1.3 मुख्य उद्देश्य:

- विकास की अवस्थाओं को पहचानना

- विकासात्मक परिवर्तनों के कारणों का विश्लेषण

- व्यक्ति के संपूर्ण विकास की समझ प्राप्त करना

2: विकासात्मक विधि के प्रकार

2.1 अनुवीक्षण विधि (Longitudinal Method):

- एक ही व्यक्ति या समूह का लंबे समय तक अध्ययन।

- उदाहरण: एक बालक का जन्म से किशोरावस्था तक विकास अध्ययन।

2.2 समकालिक विधि (Cross-sectional Method):

- विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों का एक ही समय में अध्ययन।

- उदाहरण: 5, 10, और 15 वर्ष के बच्चों की तुलना करना।

2.3 क्रमिक तुलनात्मक विधि (Sequential Method):

- यह अनुवीक्षण और समकालिक दोनों का मिश्रण है।

2.4 आनुवंशिक विधि (Genetic Method):

- यह विधि यह समझने का प्रयास करती है कि किसी व्यवहार या विशेषता के विकास में आनुवंशिकता (genetics) की क्या भूमिका है।

- यह व्यक्ति के जन्मपूर्व कारकों को भी सम्मिलित करती है।

3: आनुवंशिक विधि की विशेषताएँ

3.1 परिभाषा:

- आनुवंशिक विधि वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के व्यवहार, बुद्धि, प्रतिभा आदि के विकास में माता-पिता से प्राप्त जैविक गुणों की भूमिका का अध्ययन किया जाता है।

3.2 प्रमुख पहलू:

- वंशानुक्रम बनाम परिवेश (Nature vs. Nurture)

- जन्मपूर्व (Prenatal) विकास

- विकासात्मक दोषों (Developmental disorders) की पहचान

3.3 उदाहरण:

- जुड़वां बच्चों (Identical vs. Fraternal Twins) का अध्ययन कर यह देखना कि उनके व्यवहार कितने समान या भिन्न हैं।

3.4 महत्त्व:

- बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समझ

- शिक्षा और बाल विकास नीतियों का निर्माण

4: विकासात्मक विधि की विशेषताएँ

4.1 कालक्रमिक अध्ययन:

- यह विधि समय के साथ विकास को रिकॉर्ड करती है।

4.2 व्यवहारात्मक परिवर्तनों पर ध्यान:

- शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक, नैतिक आदि सभी पहलुओं का अध्ययन होता है।

4.3 व्यक्तिगत मतभेदों की पहचान:

- हर व्यक्ति की विकास दर अलग होती है – इस पर शोध किया जाता है।

4.4 सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग:

- विकास के विश्लेषण हेतु आँकड़ों का संग्रह एवं परीक्षण किया जाता है।

4.5 बहु-विषयक दृष्टिकोण:

- यह विधि मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, जैविकी आदि सभी क्षेत्रों से जुड़ी होती है।

5: उपयोग, लाभ, सीमाएँ एवं निष्कर्ष

5.1 उपयोग:

- शिक्षा में पाठ्यक्रम निर्धारण

- बाल विकास एवं परामर्श

- मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ

- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान

5.2 लाभ:

- व्यक्ति के जीवन चक्र को समझने में सहायक

- विकासात्मक समस्याओं की समय पर पहचान

- नीतिगत निर्णयों के लिए आधार प्रदान करता है

5.3 सीमाएँ:

- समय-साध्य एवं महँगी प्रक्रिया

- नमूनों की निरंतरता बनाए रखना कठिन

- आंकड़ों की व्याख्या में जटिलता

5.4 निष्कर्ष:

- विकासात्मक विधि एक सशक्त अनुसंधान तकनीक है जो व्यक्ति के दीर्घकालिक विकास को समझने में अत्यंत उपयोगी है।

- आनुवंशिक विधि इसका महत्वपूर्ण भाग है जो जन्मजात गुणों की भूमिका स्पष्ट करती है।

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Dr. D R BHATNAGAR  

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