गुरुवार, 26 जून 2025

शिक्षण पर अनुसंधान के प्रतिमान – Gage, Doyle और Shulman

 शिक्षण पर अनुसंधान के प्रतिमान – Gage, Doyle और Shulman

 1. Ned A. Gage का प्रतिमान

जीवन परिचय:

  1. पूरा नाम: Ned A. Gage
  2. जन्म: 1917
  3. मृत्यु: 2008
  4. राष्ट्रीयता: अमेरिकी
  5. कार्य क्षेत्र: शैक्षिक मनोविज्ञान और शिक्षण अनुसंधान

शैक्षणिक पृष्ठभूमि:

  1. स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) से संबद्ध
  2. डॉ. गेज ने शैक्षिक मनोविज्ञान और शिक्षण पद्धति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा।

शिक्षा में प्रमुख योगदान:

  1. Process-Product Model के जनक माने जाते हैं।
  2. उन्होंने दिखाया कि शिक्षक का व्यवहार (प्रक्रिया) सीधे तौर पर छात्र की उपलब्धि (उत्पाद) को प्रभावित करता है।
  3. उन्होंने शिक्षण को मात्रात्मक (quantitative) पद्धतियों से मापने का कार्य किया।

प्रमुख रचनाएँ:

  1. "The Scientific Basis of the Art of Teaching"
  2. Handbook of Research on Teachingशिक्षण अनुसंधान का मूल ग्रंथ

सम्मान और मान्यता:

  1. अमेरिका में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी मनोवैज्ञानिकों में गिनती।
  2. उनके कार्यों ने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया।

 

 प्रतिमान का नाम: प्रक्रिया-उत्पाद प्रतिमान (Process-Product Paradigm)

 प्रमुख विचार:

  • Gage का मानना था कि शिक्षण प्रक्रिया और शिक्षण के परिणाम (अर्थात् छात्रों की उपलब्धि) के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है।
  • शिक्षक किस प्रकार पढ़ाते हैं (प्रक्रिया) और छात्र क्या सीखते हैं (उत्पाद), इस संबंध को वैज्ञानिक रूप से मापा जा सकता है।

 मुख्य विशेषताएँ:

  1. प्रक्रियाओं पर ध्यानजैसे कि शिक्षक द्वारा प्रश्न पूछना, समझाना, कक्षा प्रबंधन आदि।
  2. उत्पादों पर ध्यानजैसे कि छात्र की परीक्षा में प्राप्त अंक, समझ का स्तर, रचनात्मक उत्तर आदि।
  3. परिवर्तनशीलों के बीच संबंधयह प्रतिमान यह पता लगाने का प्रयास करता है कि कौन-से शिक्षण व्यवहार छात्र की सफलता में सहायक होते हैं।
  4. प्रायोगिक अध्ययनयह अनुसंधान आंकड़ों, परीक्षणों और प्रयोगों पर आधारित होता है।

 अनुसंधान विधियाँ:

  • मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान।
  • सांख्यिकीय विधियों से निष्कर्ष निकालना।
  • पूर्व-परीक्षण / पश्चात-परीक्षण डिज़ाइन का उपयोग।

 आलोचना:

  • यह मॉडल शिक्षा को केवल यांत्रिक प्रक्रिया की तरह देखता है।
  • इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों, छात्रों की विविधता और शिक्षण की जटिलता को नजरअंदाज किया जाता है।

2. Walter Doyle का प्रतिमान

जीवन परिचय:

  1. नाम: Walter Doyle
  2. राष्ट्रीयता: अमेरिकी
  3. कार्य क्षेत्र: कक्षा अध्ययन, शिक्षण की पारिस्थितिकी (ecology of teaching)

शैक्षणिक पृष्ठभूमि:

  1. University of Arizona से लंबे समय तक संबद्ध रहे।
  2. शिक्षण की सामाजिक, नैतिक और पर्यावरणीय जटिलताओं को समझने में उनकी विशेष रुचि थी।

शिक्षा में प्रमुख योगदान:

  1. उन्होंने Classroom Ecology Paradigm की स्थापना की।
  2. कक्षा को एक जटिल सामाजिक तंत्र (complex social ecology) माना।
  3. शिक्षक केवल पाठ नहीं पढ़ाता, बल्कि समय, व्यवहार, गतिविधियों और अन्य कारकों का प्रबंधन करता है।
  4. शिक्षण को "Task Management System" के रूप में प्रस्तुत किया।

प्रमुख लेख/प्रकाशन:

  1. "Academic Work"शिक्षण कार्य की प्रकृति पर विश्लेषणात्मक लेख।
  2. Classroom Organization and Management पर अनेक शोध प्रकाशित।

सम्मान और मान्यता:

  1. Doyle ने शिक्षकों की भूमिका को प्रशासनिक, सामाजिक और नैतिक प्रबंधक के रूप में पुनर्परिभाषित किया।
  2. उनके कार्यों को शिक्षक प्रशिक्षण, नीति निर्माण और शैक्षणिक प्रबंधन में अपनाया गया।

 

 प्रतिमान का नाम: कक्षा पारिस्थितिकी प्रतिमान (Classroom Ecology Paradigm)

 प्रमुख विचार:

  • Doyle के अनुसार, कक्षा केवल एक शिक्षण स्थान नहीं बल्कि एक सामाजिक पारिस्थितिकीय तंत्र (ecological system) है।
  • शिक्षक और विद्यार्थी एक-दूसरे से निरंतर प्रभाव ग्रहण करते हैं।

 मुख्य विशेषताएँ:

  1. कक्षा को एक जीवंत इकाई माना गयाजिसमें अनेक कार्य और उत्तरदायित्व होते हैं।
  2. अनौपचारिक नियमों और संस्कृति का अध्ययनजैसे छात्र व्यवहार, शिक्षक की शैली, आपसी संबंध।
  3. Classroom Management – अनुशासन बनाए रखना, समय प्रबंधन, छात्रों की सहभागिता आदि।
  4. Teaching as Orchestration – शिक्षण को एक समन्वयकारी प्रक्रिया माना गया जिसमें शिक्षक को कई कारकों को साथ लेकर चलना होता है।

 अनुसंधान विधियाँ:

  • गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान।
  • प्रेक्षण (Observation), केस स्टडी, सहभागिता अवलोकन का प्रयोग।

 महत्त्व:

  • इस प्रतिमान ने शिक्षण के मानवीय और सामाजिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।
  • शिक्षण को केवल "content delivery" नहीं बल्कि सामाजिक प्रक्रिया माना गया।

3. Lee S. Shulman का प्रतिमान

 जीवन परिचय:
  1. जन्म: 1938
  2. राष्ट्रीयता: अमेरिकी
  3. कार्य क्षेत्र: शिक्षा में ज्ञान का स्वरूप, शिक्षण विज्ञान

शैक्षणिक पृष्ठभूमि:

  1. University of Chicago से शिक्षा प्राप्त की।
  2. Stanford University और फिर Carnegie Foundation for the Advancement of Teaching से जुड़े रहे।

शिक्षा में प्रमुख योगदान:

  1. PCK (Pedagogical Content Knowledge) की अवधारणा प्रस्तुत की – यह दर्शाता है कि अच्छे शिक्षक को विषय के साथ-साथ उसे पढ़ाने की विधि भी आनी चाहिए।
  2. शिक्षक की भूमिका को "Subject Interpreter" माना।
  3. शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में विषयवस्तु ज्ञान की आवश्यकता पर बल दिया।
  4. "Signature Pedagogies" का विचार प्रस्तुत किया – प्रत्येक पेशे के लिए विशिष्ट शिक्षण पद्धति होनी चाहिए।

प्रमुख रचनाएँ:

  1. "Those Who Understand: Knowledge Growth in Teaching" (1986) – अत्यंत चर्चित लेख।
  2. "The Wisdom of Practice: Essays on Teaching, Learning and Learning to Teach"
  3. शिक्षकों की तैयारी और पेशेवर विकास पर आधारित अनेक पुस्तकें।

सम्मान और मान्यता:

  1. अमेरिकी शैक्षिक अनुसंधान संघ (AERA) के अध्यक्ष रहे।
  2. Shulman को शिक्षा में उनके योगदान के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।
  3. उनकी अवधारणाओं ने शिक्षक प्रशिक्षण और नीति निर्माण को नया दृष्टिकोण दिया।

 प्रतिमान का नाम: PCK – Pedagogical Content Knowledge (विषयवस्तु-आधारित शिक्षण ज्ञान)

 प्रमुख विचार:

  • Shulman का मत था कि अच्छा शिक्षक बनने के लिए केवल विषय का ज्ञान ही नहीं बल्कि यह भी जानना ज़रूरी है कि उस विषय को छात्रों को कैसे पढ़ाया जाए।

 Pedagogical Content Knowledge (PCK) क्या है?

  • यह उस विशेष ज्ञान को दर्शाता है जो शिक्षक के पास होता है, जिससे वह किसी कठिन विषयवस्तु को छात्रों के लिए सरल, बोधगम्य और रुचिकर बना सकता है।

 मुख्य अवयव:

  1. विषय का गहन ज्ञान (Content Knowledge)
  2. शिक्षण विधियों की समझ (Pedagogical Knowledge)
  3. छात्रों की कठिनाइयों और गलतफहमियों की जानकारी
  4. शिक्षण रणनीतियों का चयन और अनुकूलन

 अनुसंधान विधियाँ:

  • मिश्रित अनुसंधान विधियाँ (Qualitative + Quantitative)
  • केस स्टडी, शिक्षक साक्षात्कार, शिक्षण परिक्षण आदि।

 महत्त्व:

  • इस प्रतिमान ने शिक्षक शिक्षा (Teacher Education) की रूपरेखा को ही बदल दिया।
  • यह दिखाया कि शिक्षण सिर्फ कंटेंट बताना नहीं बल्कि उसे प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने की कला और विज्ञान है।

तुलनात्मक दृष्टिकोण:

नाम

जन्म/मृत्यु

प्रमुख प्रतिमान

योगदान का क्षेत्र

प्रमुख योगदान

Ned A. Gage

1917–2008

Process-Product Paradigm

शिक्षण व्यवहार और छात्र उपलब्धि

शिक्षण की वैज्ञानिक मापनीयता स्थापित की

Walter Doyle

समकालीन

Classroom Ecology Paradigm

कक्षा प्रबंधन, सामाजिक संदर्भ

कक्षा को सामाजिक तंत्र मानने की अवधारणा दी

Lee S. Shulman

1938 – वर्तमान

PCK (Pedagogical Content Knowledge)

शिक्षक ज्ञान और पद्धति

PCK की अवधारणा; शिक्षक को ज्ञान का अनुवादक माना

 

शिक्षाविद्

प्रतिमान का नाम

मुख्य दृष्टिकोण

अनुसंधान की विधि

प्रमुख विशेषताएँ

Gage

प्रक्रिया-उत्पाद प्रतिमान

शिक्षक के व्यवहार और छात्र की उपलब्धि का संबंध

मात्रात्मक

वैज्ञानिकता, निष्पादन आधारित

Doyle

कक्षा पारिस्थितिकी प्रतिमान

कक्षा को सामाजिक तंत्र के रूप में देखना

गुणात्मक

कक्षा प्रबंधन, संबंध, पर्यावरण

Shulman

PCK (विषयवस्तु आधारित ज्ञान)

विषय + शिक्षण विधियों का एकीकरण

मिश्रित

शिक्षण की गुणवत्ता और प्रभावशीलता

FOR M.ED. 2 YEAR SYLLABUS LINK                 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शिक्षण पर अनुसंधान के प्रतिमान – Gage, Doyle और Shulman

 शिक्षण पर अनुसंधान के प्रतिमान – Gage, Doyle और Shulman   1. Ned A. Gage का प्रतिमान जीवन परिचय: पूरा नाम: Ned A. Gage जन्म: 1917...