पाठ्यचर्या के निर्धारक (Determinants of Curriculum)पाठ्यचर्या (Curriculum) केवल ज्ञान का संचयन नहीं है, बल्कि यह समाज, राजनीति, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति से प्रभावित एक जीवंत प्रक्रिया है। पाठ्यचर्या को निर्धारित करने वाले प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:(a) सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक-आर्थिक विविधता(Social-Political-Cultural-Economic Diversity)
- सामाजिक विविधता – भारत जैसे देश में जाति, धर्म, भाषा, लिंग, क्षेत्रीयता आदि विविध सामाजिक घटक हैं। इन विविधताओं को ध्यान में रखकर पाठ्यचर्या को समावेशी, समानतापूर्ण और विविधताओं का सम्मान करने वाला बनाना आवश्यक है।
- राजनीतिक विविधता – देश की शासन प्रणाली, लोकतांत्रिक ढांचा और राजनीतिक विचारधाराएँ पाठ्यचर्या को इस प्रकार प्रभावित करती हैं कि नागरिक जिम्मेदारी, संवैधानिक मूल्यों और मानवाधिकारों पर बल दिया जाता है।
- सांस्कृतिक विविधता – विभिन्न संस्कृतियाँ, परंपराएँ, जीवनशैली और भाषाएँ पाठ्यचर्या को बहुसांस्कृतिक (multicultural) बनाती हैं। यह छात्रों में विविधता की समझ और सहिष्णुता विकसित करती है।
- आर्थिक विविधता – गरीब और अमीर वर्गों के बीच की खाई, संसाधनों की उपलब्धता और आय स्तर पाठ्यचर्या में ऐसे विषयों की आवश्यकता को जन्म देते हैं जो आर्थिक समावेशन और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।
(b) सामाजिक-राजनीतिक आकांक्षाएँ एवं विचारधाराएँ(Socio-political aspirations including ideologies)
- लोकतांत्रिक मूल्य – नागरिकों की स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की आकांक्षाएँ पाठ्यचर्या में नागरिक शिक्षा और संवैधानिक मूल्य जोड़ती हैं।
- विचारधारात्मक प्रभाव – वामपंथ, दक्षिणपंथ, उदारवाद, समाजवाद आदि विचारधाराएँ यह निर्धारित करती हैं कि शिक्षा किस दिशा में जाए – सामाजिक न्याय, आत्मनिर्भरता, या प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर।
- समाज सुधार की आकांक्षा – पिछड़े वर्गों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों की उन्नति की सामाजिक आकांक्षाएँ पाठ्यचर्या में उनके सशक्तिकरण को स्थान देती हैं।
- राष्ट्रीय एकता की भावना – विभिन्न भाषाओं, जातियों, धर्मों के बीच एकता बनाए रखने हेतु पाठ्यचर्या में समावेशी एवं सहिष्णु सामग्री का समावेश होता है।
(c) आर्थिक आवश्यकताएँ और तकनीकी संभावनाएँ(Economic Necessities & Technological Possibilities)
- रोजगार उन्मुख शिक्षा – आर्थिक विकास के लिए कौशल आधारित, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है जिससे युवा रोजगार योग्य बन सकें।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा – वैश्विक बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यचर्या में नवाचार, नेतृत्व, उद्यमिता जैसे गुणों को शामिल किया जाता है।
- तकनीकी प्रगति – सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल लर्निंग आदि की संभावनाओं को देखते हुए पाठ्यचर्या में तकनीकी विषयों को शामिल किया जाता है।
- सतत विकास – अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, हरित प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विषयों को भी पाठ्यचर्या में शामिल किया जा रहा है।
(d) राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ(National Priorities and International Context)
- राष्ट्रीय विकास लक्ष्य – शिक्षा नीति, सतत विकास लक्ष्य (SDGs), आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यचर्या में नवाचार, विज्ञान, पर्यावरण, स्वास्थ्य आदि को महत्व दिया जाता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) – शिक्षा की सार्वभौमिकता, मातृभाषा में शिक्षा, 21वीं सदी के कौशल, और जीवन भर सीखने की अवधारणा को पाठ्यचर्या में समाहित किया गया है।
- अंतरराष्ट्रीय संदर्भ – वैश्विक नागरिकता, शांति शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय समझ, वैश्विक समस्याएँ (जैसे जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार) पाठ्यचर्या में जोड़े जाते हैं।
- यूनिसेफ, यूनेस्को आदि के दिशानिर्देश – वैश्विक संगठनों द्वारा निर्धारित शैक्षिक मापदंड भी पाठ्यचर्या के निर्माण को प्रभावित करते हैं।
निष्कर्षपाठ्यचर्या को केवल अकादमिक दस्तावेज मानना त्रुटिपूर्ण होगा। यह समाज के हर पहलू – सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, और तकनीकी – का प्रतिबिंब है। एक समग्र, समावेशी और प्रासंगिक पाठ्यचर्या विद्यार्थियों को न केवल जानकारी देती है, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक और वैश्विक नागरिकता के योग्य बनाती है।
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