पाठ्यचर्या (Curriculum), पाठ्यक्रम (Syllabus) तथा पाठ्यपुस्तक (Text-Book) तीनो एक दूसरे सम्बंधित है। परन्तु तीनो में अंतर है। पाठ्यचर्या (Curriculum) का सम्बन्ध जहाँ कक्षा-कक्ष के भीतर एवं बाहर आयोजित होने वाली क्रियाकलापों से है तो वही पाठ्यक्रम (Syllabus) का सम्बन्ध मात्र कक्षा-कक्ष के भीतर आयोजित होने वाली क्रियाओं से है। जबकि पाठ्य-पुस्तक (Text-Book) का सम्बन्ध भरोसेमंद पुस्तकों से है। जिसका निर्माण पाठ्यचर्या (Curriculum) एवं पाठ्यक्रम (Syllabus) के आधार पर किया जाता है। प्रायः इन पुस्तकों का निर्माण विधालय एवं विश्वविधालय स्तर के छात्रों के लिये किया जाता है। ये तीनो शैक्षिक प्रशासन, शिक्षक एवं छात्रों सभी के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है। क्योंकि इन्हीं से यह जानकारी मिलती है कि विधालय में क्या पढाया जाये ? एवं किन-किन क्रियाकलापों का आयोजन कराया जाये ?
पाठ्यचर्या का अर्थ
पाठ्यचर्या एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ दौड़ का मैदान होता ह । यह एक व्यापक शब्द है जो बालकों को गुणवक्तापूर्ण एवं उपयोगी शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षिक पदाधिकारियों द्वारा तैयार किया जाता है। इसके अंतर्गत कक्षा-कक्ष के भीतर एवं बाहर आयोजित होने वाली सभी क्रिया-कलापों को समाहित किया जाता है जैसे - परीक्षा, भाषण, खेल-कूद, नाच-गान, अभिनय, वृक्षारोपण इत्यादि। पाठ्यचर्या को इस उद्देश्य से बंनाया जाता है ताकि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू का विकास हो सके। अर्थात यह बालकों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास पर भी जोर देता है। इसके समस्त प्रभाव को मूल्यांकित कर पाना संभव नहीं है
पाठ्यक्रम का अर्थ
पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या के अपेक्षा संकीर्ण शब्द है। यह कक्षा कक्ष के भीतर औपचारिक शिक्षा का आयोजित करने के लिए तैयार किया जाता है। जिससे शिक्षक एवं छात्र दोनों को मार्गदर्शन मिलता है । इसी के आधार पर किन-किन अध्यायों को पढाया जाये ? परीक्षा में कितने अंक का प्रश्न पूछे जाये ? इत्यादि का पता चलता है। बच्चों को मूल्यांकित करने के लिए परीक्षा के प्रश्न पत्र भी पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किया जाता है। इसका उद्देश्य मात्र बालकों का मानसिक विकास करना है। प्रायः विभिन्न कक्षाओं के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम होता है।
पाठ्य-पुस्तक (Text-Book) का अर्थकिसी विषय विशेष के ज्ञान को जब पुस्तक के रूप में मुद्रित करके प्रस्तुत किया जाता है तो उसे पाठ्य-पुस्तक कहा जाता है। पाठ्य-पुस्तक को पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार किया जाता है। प्रायः इसको लेखको के अपनी निजी भावनाओं से मुक्त रखा जाता है। टेक्स्ट बुक को तैयार करते वक्त छात्रों के कक्षा स्तर को ध्यान में रखते हुए अध्यायों (Lessons) का विवरण एवं शब्दावलियों (Glossary) का उपयोग किया जाता है। विषय वस्तु को समझाने हेतू उपयुक्त चित्रों, मानचित्रों एवं आरेखो (diagrams) का भी इस्तेमाल किया जाता है।
Lange के अनुसार - “यह अध्ययन क्षेत्र की किसी शाखा कि एक प्रमाणित पुस्तक होती है।”Bacon का कहना है कि - “पाठ्य-पुस्तक कक्षा प्रयोग के लिए विशेषज्ञों द्वारा सावधानी से तैयार की जाती है। यह शिक्षण युक्तियों से भी सुसज्जित होती है।”
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