मंगलवार, 6 जुलाई 2021

संप्रेषण का अर्थ व अवधारणा (Communication-Meaning and Concept)

संप्रेषण का अर्थ व अवधारणा 

Communication-Meaning and Concept

सम्प्रेषण के लिए अंग्रेजी भाषा में ‘Communication’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के Communis शब्द से हुई है। Communis शब्द का अर्थ है ‘जानना या समझना। Communis शब्द को Common शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है किसी विचार या तथ्य को कुछ व्यक्तियों में सामान्तया Common बना देना।

इस प्रकार सम्प्रेषण या संचार शब्द से आशय है तथ्यों, सूचनाओं, विचारों आदि को भेजना या समझना। इस प्रकार सम्प्रेषण एक द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसके लिये आवश्यक है कि यह सम्बन्धित व्यक्तियों तक उसी अर्थ में पहुँचे जिस अर्थ में सम्प्रेषणकर्त्ता ने अपने विचारों को भेजा है। यदि सन्देश प्राप्तकर्त्ता, सन्देश वाहक द्वारा भेजे गये सन्देश को उस रूप में ग्रहण नहीं करता है, तो सम्प्रेषण पूरा नहीं माना जायेगा।

सामान्य अर्थ

व्यक्ति अपने हाव-भाव वस्तु विचारो को एक स्थान से दूसरे 

स्थान पर भेजना ही सम्प्रेषण कहताला हैं। 

शाब्दिक अर्थ 

सम्प्रेषण शब्द सम्  सम्येक प्रकारेण प्रेषण - प्रेषित भेजना की सन्धि है इसे संचार के अर्थ में प्रयुक्त करते है। ’’विशिष्ट विचारों को विशिष्ट विधि से विशिष्ट स्थान तक भेजना/प्रदान करना।’’

सम्प्रेषण की परिभाषा-

न्यूमेन समर के अनुसार-’’सम्प्रेषण दा या दो से अधिक भावनाओं का विनिमय है।’’

एफ जी मेंयर-’’मानवीय विचारों और समितियों का शब्दों पत्रों एंव सन्देशों के माध्यम से आदान-प्रदान ही संचार है।’’

कीथ डेविस-’’संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सन्देश एंव समझ को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाना जाता है।’’

मेक्फारलैण्ड-’’मनुष्य के मध्य अर्थपूर्ण अन्तक्रिया की प्रक्रिया सम्प्रेषण है।’’

लूगीस और वीगला- ’’संचार प्रक्रिया में सामाजिक व्यवस्था के द्वारा निर्णय सूचना एंव निर्देश दिये जाते है। इसमें ज्ञान भावों, विचारों, अभिवृत्तियो को निर्मित किया जाता है। परिवर्तन करते है।’’

प्रो. के.एल.कुमार -’’संवार सभी मानवीय कार्यो और अन्तक्रियाओ का मूलाधार है इसका अर्थ है ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से विचारों सूचनाओं व आदेशों का सम्प्रेषण यह सन्देश दूसरों व्यक्तियों तक निर्बोधित व अपरिवर्तित रूप से सम्प्रेषित होना चाहिए।’’

सम्प्रेषण की विशेषताएँ

  1. सम्प्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसमें विचारों का आदान प्रदान होता है।
  2. सम्प्रेषण का लक्ष्य सम्बन्धित पक्षकारों तक सूचनाओं को सही अर्थ में सम्प्रेषित करना होता है।
  3. सम्प्रेषण द्वारा विभिन्न सूचनाएँ प्रदान कर पक्षकारों के ज्ञान में अभिवृद्धि की जाती है।
  4. सम्प्रेषण का आधार व्यक्तिगत समझ और मनोदशा होती है।
  5. सम्प्रेषण में दो या अधिक अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं।
  6. सम्प्रेषण वैयक्तिक और अवैयक्तिक दोनों प्रकार से किया जा सकता है।
  7. सम्प्रेषण निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।
  8. सम्प्रेषण एक चक्रिय-प्रक्रिया है जो प्रेषक से प्रारम्भ होकर प्रतिपुष्टि प्राप्ति के बाद प्रेषक पर ही समाप्त होती है।
  9. सम्प्रेषण में संकेत, शब्द व चिन्हों का प्रयोग होता है।

    सम्प्रेषण एक निरन्तर चलने वाली तथा नैत्यिक प्रक्रिया है तथा कभी न समाप्त होने वाला सम्प्रेषण चक्र संस्था में निरन्तर विद्यमान रहता है। 

सम्प्रेषण प्रक्रिया


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