- कक्षा में शिक्षक मौखिक व लिखित सम्प्रेषण का ही सर्वाधिक उपयोग करता है।
- संप्रेषणकर्त्ता किसी सूचना या निर्देश को लिख कर संप्रेषित करता है। शिक्षक श्याम पट् पर लिख कर सम्प्रेषण का कार्य करता है तथा मूल्यांकन में भी लिखित सम्प्रेषण का ही उपयोग किया जाता है।
- विद्यालय में कई लोगों के मध्य लिखित सम्प्रेषण होता है जैसे प्राचार्य और शिक्षकों के बीच। शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच तथा विद्यालय प्रबंधन समिति व शिक्षकों, प्राचार्य व अभिभावकों के बीच।
- इस प्रकार से वर्तमान में शिक्षकों के लिए लिखित सम्प्रेषण कौशल में निपुण होना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। लिखित सम्प्रेषण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- उचित भाषा का चुनाव- ऐसी भाषा चुननी चाहिए जो कि संदेश प्राप्त कत्र्ता को समझ में आए। कक्षा में संदेश ग्राहक एक से अधिक होते है उनमें वैयक्तिक विभिन्नताएँ भी होती है। कोई कठिन क्लिष्ट भाषा भी समझ लेता परन्तु कुछ विद्याार्थि सरल भाषा समझ लेता है।
- लिखते समय लेखन में व्याकरण संबंधि त्रुटियाँ न हो तथा अक्षर सुंदर लिखने का प्रयास करे।
- लिखित संदेश छोटा व सारगर्भित व विषयवस्तु से संबंधित होना चाहिएं।
- हस्तलिखित बिंदु (Hand written point) बनाते है जो कि विद्यार्थियों स्व-अध्ययन में उपयोगी होते है उनमें पाठ के सभी महत्वपूर्ण बिंदु आने चाहिए व उन्हें रेखाचित्रों के माध्यम से रचनात्मक बनना चाहिए।
- वर्तमान में सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समितियाँ होती है उसके सदस्य शिक्षक भी होते है व उससे संबंधित Notice, आदेश, उसकी नीतियाँ व योजनाओं को लिखित रूप से ही संप्रेंषित किया जाता है।
- सामान्यतः पूरी कक्षा को दिये जाने वाले निर्देश लिखित सम्प्रेषण के माध्यम से संप्रेषित किये जाते है- जैसे पाठ के अंत में शिक्षक द्वारा लिखकर ही गृहकार्य दिया जाता है।
- अभिभावकों व शिक्षकों के मध्य सम्प्रेषण लिखित रूप से होता है। विद्यार्थियों की अधिगम संबंधि समस्याओं व विद्यालय में उसके व्यवहार से संबंधित संदेश, सूचनाएँ लिखित रूप से शिक्षक ही अभिभावकों को संप्रेषित करता है।
- सामान्यतः विद्यालय के अन्दर प्रधानाध्यापक, शिक्षकों, उच्च अधिकारियों व अभिभावकों व प्रबंध समिति के सदस्यों के बीच सम्प्रेषण लिखित संदेशों द्वारा होता है। उन्हें Circulars, आदेश, Minutes, प्रतिवेदन आदि नाम दिए जाते है।
परिपत्र (Circulars)
- विद्यालयों में परिपत्रों के द्वारा सम्प्रेषण होता है। Circular लिखित सम्प्रेषण के माध्यम होते है। विद्यालय प्रबंधन में परिपत्रों का अत्यधिक महत्व होता है। क्योंकि इनके द्वारा ही संस्था प्रधान व अन्य उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थों से लिखित रूप में सम्पे्रषण करते है।
- जब एक ही प्रकार की सूचना को किसी समूह में सम्प्रेषित करना हो तब Circulars या परिपत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- Circulars समजजमते के द्वारा समय तथा धन की बचत होती है। विद्यालयों में भी इस प्रकार के परिपत्रों का उपयोग लिखित सम्प्रेषण के रूप में किया जाता है। जैसे विद्याालय के प्राचार्य के Senior teacher की meeting बुलानी है तो वो सबसे व्यक्तिगत रूप से न मिल कर एक परिपत्र के माध्यम से उन्हे इसकी जानकारी इस परिपत्र के माध्यम से उन्हे इसकी जानकारी देते है, उद्ददेश्य, समय व अन्य जानकारी इस परिपत्र द्वारा संप्रेषित की जाती है। यह एक सूचनात्मक पत्र होता है।
सूचना पत्र (Notice)
किसी महत्वपूर्ण जानकारी से सम्बधिंत व्यक्ति समुह को अवगत कराने के लिए सूचना पत्रों या notice के माध्यम से सम्प्रेषण किया जाता है।
सूचना पत्र वह सम्पे्रषण का माध्यम है जिससे किसी व्यक्ति समूह को हो चुकी घटना के बारे में नवीनम जानकारी व होने वाले कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी जाती है।
- नोटिस में सबसे ऊपर heading आता है, नोटिस सदैव कम से कम शब्दों मे अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास करता है।
- नोटिस में नीचे notice भेजने वाले यानि विद्यालय में प्राचार्य होता है उनके हस्ताक्षर तथा दिनांक का होना आवश्यक होता है।
- नोटिस को किसी public place/Notice बोर्ड पर लगाया जाता है।
आदेश पत्र (Order)
कार्यलय आदेश लिखित सम्पे्रषण का ऐसा माध्यम जो किसी सक्षम अधिकारी द्वारा ही किसी व्यक्ति या व्यक्ति समुह को उनके कार्य, समय, कार्य में सुधार व अन्य गतिविधियों को निर्देशित करने के लिए आदेश पत्रों का प्रयोग किया जाता है।
अ. ये आदेशात्मक कार्यवाही से सम्बन्धित होता है।
ब. इस पत्र के अन्त में उच्चअधिकारी के हस्ताक्षर तथा अन्य सम्बन्धित,अधिकारियों के approval की जानकारी दी जाती है।
स. इसे व इससे दिए गए निर्देशों को मानने के लिए सम्बधिंत व्यक्ति बाध्य होती है अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
प्रतिवेदन(Report)विद्यालय की गतिविधियों क बारे में संबंधित शिक्षक अन्य विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य वार्षिक या अर्द्धवार्षिक एक प्रतिवेदन या Report तैयार करते है, प्रतिवेदन में विद्यालय में हुई गतिविधियों तथा कार्यकलापों का विवेचन किया जाता है। तथा इसके अतिरिक्त शैक्षिक वातावरण व भौतिक समस्याओं व गुणवत्ता का आंकलन किया जाता है तथा अनुशखाएँ तथा सुझाव भी दिए जाते है।वर्तमान में विद्यालयों में एक प्रभावी प्रतिवेदन तैयार करने में शिक्षकों की भी अति महत्वपूर्ण तैया करने में शिक्षकों की भी अति महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। प्रतिवेदन लिखित सम्प्रेषण का उत्तम माध्यम होता है, जिसके माध्यम से सम्बन्धित विषय की विस्तृत जानकारी व सुझाव सम्प्रेषित किये जा सकते है।विवरण (Minutes)विद्यालय में होने वाले लिखित सम्प्रेषण में Minutes(Meeting Minutes) का भी अति महत्वपूर्ण स्थान होता है। विद्यालय प्रबंधन व प्रशासन को सूचारू रूप से संचालित करने के लिए समय-समय पर गोष्ठियों (Meetings) के उद्देंश्यों विद्यालय संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों लिए गए, निर्णयों, सदस्यों द्वारा दिए सुझावों आदि सभी घटनाक्रमों का लिखित विवरण ही Minutes कहलाता है।अ. संगोष्ठि (बैठक) विवरण में यह भी लिखा जाता है कि एक ही विषय पर पहले भी बैठके हो चुकी हो तो पिछली बैठकों के मिनट्स को भी ध्यान में रखा जाता है।ब. Meeting Minutes- में सभापति तथा अन्य उपस्थित सदस्यों के बारे में भी जानकारी लिखी जाती है।
ब्लॉग को like और subscribe जरूर करे ।
comment box मैं अपने शहर या गांव का नाम अवश्य लिखे।
Dr. D R BHATNAGAR
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें