गुरुवार, 22 जुलाई 2021

श्रव्य-दृश्य सम्प्रेषण (Audio-visual Communication)

श्रव्य-दृश्य सम्प्रेषण 
Audio-visual Communication

    श्रव्य-दृश्य सम्प्रेषण Audio visual  सम्प्रेषण मे श्रव्य-दृश्य साधनों से सम्प्रेषण किया जाता है। कक्षा-कक्ष में Audio visual साधनों द्वारा किया गया सम्प्रेषण अधिक प्रभावी होता है। 

A Picture is worth a thousand words, (English idiom) 

जटिल सामग्री को अगर हम दृश्य-श्रव्य साधनों जैसे slide presentation, Videos, electronic white board पर picture, grapes, charts दिखाकर short films बना कर समझाते है। तो इस प्रकार से सम्प्रेषित की गई सुचनाएं, तथ्य, ज्ञान बच्चों के मस्तिष्क में स्थाई होता है तो इस प्रकार से कक्षा-कक्ष में शाब्दिक सम्प्रेषण के बजाए Audio visual साधनों से सम्प्रेषण में सहायता ली जाए तो अधिगम जल्दी, सुगमता से व स्थायी होता है। बच्चें जल्दी भूलते नही है। कक्षा-कक्ष में सम्प्रेषण मुख्यतः लिखित या मौखिक होता है। लेकिन जहाँ पर लिखित या मौखिक सम्प्रेषण काफी न ये वहाँ दृश्य-श्रव्य सम्प्रेषण द्वारा शिक्षण कार्य किया जा सकता है। 

चार्ट- विद्यार्थियो को शिक्षा चार्ट के माध्यम से भी दी जाती है इसका प्रयोग तथ्यात्मक एंव सैदन्तिक संकल्पनाओं को प्रभावी ढ़ग से प्रदर्शन करने में किया जाता है। चार्ट अधिकतर तालिका, चार्ट, समय, तालिका, चार्ट, चित्र चार्ट, आलेख चार्ट, वृक्ष चार्ट, संगठन चार्ट आदि।

ओवर हैड़ प्रोजेक्टर- इस उपकरण के द्वारा किसी भी शिक्षण सामग्री को बड़े पर्दे पर लिया जा सकता है। जिसके माध्यम से सहायक सामग्री व शिक्षण बिन्दु  को सम्मिलित रूप से प्रभावित तरिके से प्रस्तुत किया जाता है।

कम्प्यूटर- यह आधुनिकता मशीन है। जिसका प्रयोग अनुदेशन हेतु भी लिया जाता है शिक्षण के क्षेत्र में कम्प्यूटर अनुदेशन शोध एंव परिक्षा के कार्य में उपयोगी सिद्ध होतो है सही व गलत अनुक्रियाओं को ज्ञान कम्प्यूटर द्वारा किया जाता है इससे पुनर्बलन मिलता है गलत अनुक्रिया होने पर भी विद्यार्थी सीखते है।

रेडियों और ट्रांजिस्टर- ये दोनों ही शिक्षण के श्रव्य साधन है आजकल रेडियों प्रसारण सुनना प्रत्येक व्यक्ति की रूचि बन गया है। शिक्षण हेतु भी रेडियों प्रयोग बढ़ता जा रहा है। कई बार रेडियों अथवा टेलीविजन के प्रसारण बड़े व्यक्तियों के भाषण अथवा इस प्रकार के कुछ प्रसारित द्वारा कक्ष़्ाा शिक्षण के लिए उपयोगी होता है। इससे बालक के सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है। यह एक शिक्षा प्रसारित करने की अनौपचारिक शिक्षण प्रक्रिया है।

दूरर्दशन- दूरदर्शन संचार माध्यम साधन की शिक्षा की अनौपचारिक प्रक्रिया है। इयये साक्षरता सम्बन्धी विषयों का कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। जिससे ग्रहणी असाक्षर, वृद्ध, बालक, युवक मे सभी साक्षर होते है। नेटवर्क कार्यक्रम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विभिन्न सूचनाओं का सम्प्रसारण किया जाता है। जो विद्यार्थीयो के लिए उपयोगी है इसके माध्यम से विद्यार्थी चित्र को देखने के साथ-साथ सुनकर भी ज्ञान प्राप्त करते है। जिससे विद्यार्थी को जल्दी समझ में आ गया है। दूरर्दशन क माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा मिल जाता है। शिक्षण कार्य क साथ-साथ अध्यापक द्वारा तैयार किये गये कौशलों को भी सीखता है जिससे बालक प्रभावित होता है। दूरदर्शन का प्रयोग पहले दिल्ली में 1956 में किया गया अब इसका उपयोग सारे विश्व में हो जाता है।

 

विडियो कैसेट- शिक्षक द्व़ारा किए गए शिक्षण की वीडियों कैसेट करके एक साथ हजारों बालको को शिक्षण द्वारा प्रदान किया जा रहा है। बालको का ध्यान केन्द्रित होता है। विभिन्न दृश्य-श्रव्य सामग्रीयों का प्रयोग करके कक्षा शिक्षण में सुधार लाया जा सकता है। विद्यार्थी को प्रभावित करने तथा अधिक अधिगम हेतु वीडीयों कैसेट महत्वपूर्ण है जिससे उसे अपनी कमजोरी का पता चलता है। और वह सुधारने का प्रयास करता है। जिससे कक्षा में प्रभावी शिक्षण कराने में सफलता मिलती है।

 




 

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