सुनने तथा बोलने का कौशल
Listening & Speaking Skills
सम्प्रेषण में श्रवण एवं वाचन की अति- महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। श्रवण प्रभावी सम्प्रेषण की कुंजी (Key) है श्रोता (Student) सम्प्रेषित सुचनाओं का किस तरह से अर्थ लगाते है निहितार्थ समझते है यह ही सम्प्रेषण को सफलता को बताता है। सम्प्रेषण एक द्विध्रुवीय प्रक्रिया होती है। जिसमें वक्ता का वाचन कौशल में निपुण होना आवश्यक है वह किस तरह से सुचनाओं का आदान-प्रदान करता है कि कक्षा कक्ष में शिक्षण अधिक से अधिक प्रभावी हो सके।
सम्प्रेषण को सफल बनाने में शिक्षक का श्रवण एवं वाचन कौशल में अच्छा होना आवश्यक होता है।श्रवण में (1) सुनना, (2) समझना तथा (3) विचार या तथ्य के निहितार्थ को समझना जो कि प्रेषक सम्प्रेषित करना चाहता है।
सुनने तथा बोलने की बाधाएँ
Barriers to Listening & speaking
(1) शारीरिक अक्षमताएँ- वाचन दोष, दृष्टि दोष, श्रवण दोष।(2) भाषायी बाधाएँ- भाषायी विभिन्नता या भाषा का बोधगम्य न होना संप्रेषण को प्रभावित करता है।(3) मनोवैज्ञानिक बाधाएँ- बालक का पिछड़ा होना, या मंदबुद्धि होना।(4) पर्यावरणीय बाधाएँ- कक्षा- कक्ष का भौतिक वातावरण सुविधायुक्त न होना।(5) अभिवृत्तियात्मक बाधाएँ- विद्याार्थियों की रूचि ना होना संप्रेषित विषय वस्तु में।(6) संवेगात्मक बाधाएँ- क्रोध, ग्लानि व अन्य संवेगों की अधिकता होने पर विद्यार्थि कक्षा-कक्ष में पूर्ण ध्यान केन्द्रित नही कर पाता और संप्रेषण में बाधा आती है।7) सम्प्रेषण माध्यम की गुणवत्ता में कमी- सम्प्रेषण माध्यम वह मार्ग है जिसमें संदेश भौतिक रूप से प्रेषित होता है जैसे रेड़ियों, टेलिविजन, कम्प्यूटर अगर इन माध्यमों की गुणवत्ता में कमी होती है। यह भी सम्प्रेषण में बाधा उत्पन्न करता है।(8) सम्प्रेषण से संबंधित स्तर की बाधाएँ- सम्प्रेषित कि जाने वाली विषय- वस्तु संग्राहक के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।(9) संदेश की विकृतिया- संपे्रषित संदेश मे ही अगर विकृतिया हो जैसे अस्पष्ट होना, अपूर्ण संदेश होने पर यें संदेश की विकृतिया कहलाती है और ये सम्प्रेषण में बाधा पहुँचाती है।
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