मंगलवार, 22 जून 2021

भारतीय माध्यमिक स्कूलों के लिए न्यूनतम आवश्यक निर्देशन कार्यक्रम(Minimum essential Guidance programme for an Indian Secondary Schools)

भारतीय माध्यमिक स्कूलों के लिए न्यूनतम आवश्यक निर्देशन कार्यक्रम
Minimum essential Guidance programme for an Indian Secondary Schools 



    विभिन्न उद्देश्यों, विभिन्न कार्य क्षेत्रों और बहुमुखी सेवाओं के कारण निर्देशन कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु अनेक शिक्षित प्रशिक्षित और जिम्मेदार लोगों के योगदान की आवश्यकता होती हैं। निर्देशन कार्यक्रम के द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के कार्यान्वयन हेतु जिन व्यक्तियों का सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाता है उन्हें निरीक्षण कार्मिक कहते हैं। अलग-अलग कार्य क्षेत्र एवं पृथक सेवाओं के संपादन तथा संचालन में कुछ निर्देशन कार्मिकों की भूमिका अधिक तथा अन्य कार्य कार्मिकों की भागीदारी तुलनात्मक दृष्टि से गौण हो सकती हैं। 

निर्देशन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में निम्नलिखित लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है

  1. विद्यालय/विशिष्ट विद्यालय/सामुदायिक केंद्र/ औद्योगिक संस्थान के प्रशासक
  2. छात्र कल्याण अधिकारी
  3. अध्यापक
  4. माता-पिता अभिभावक
  5. छात्रावास के अधिकारी
  6. स्वास्थ्य केंद्र अधिकारी
  7. मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता एवं
  8. सेवायोजन अधिकारी

    निर्देशन कार्यक्रमों का संपादन मुख्यतः विद्यालयों के स्तर पर होता है। विद्यालय समाज की वह इकाई हैं जो बाल को एवं अल्प वयस्कों के साथ कार्य करती है और उन्हें शिक्षित करने के अतिरिक्त व्यक्ति का समग्र रूप मैं अधिकतम विकास सुनिश्चित करने का प्रयत्न करती है। इस कार्य के लिए विद्यालय के पास सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध होना कठिन है अतः विद्यालय के बाहर के संसाधन पर भी निर्भर होना पड़ता है ऐसे में परिवार, विद्यालय, समुदाय नेटवर्क की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

निर्देशन कार्यक्रम में माता-पिता या अभिभावक की भूमिका-

  1. व्यक्ति अनुसूची सेवा व मूल्यांकन सेवा में माता पिता की भूमिका
  2. सूचना सेवा में माता पिता की भूमिका
  3. कार्यस्थल संबंधी अनुभव प्रदान करने में माता पिता की भूमिका
  4. बच्चों के लिए विशिष्ट अनुभव के आयोजन में माता पिता की भूमिका
  5. विकासात्मक निर्देशन के कार्यान्वयन में माता पिता की भूमिका
  6. शैक्षिक एवं व्यवसायिक लक्ष्यों के निर्धारण में माता पिता की भूमिका
  7. निर्देशन कार्यक्रम के मूल्यांकन में माता पिता की भूमिका 

निर्देशन हेतु सूचना सेवा में अध्यापकों की भूमिका-

  1. निर्देशन हेतु विद्यार्थियों की क्षमताओं और विशेषताओं के मूल्यांकन में अध्यापकों की भूमिका
  2. निर्देशन हेतु सूचना सेवा में अध्यापकों की भूमिका
  3. अध्यापकों की पूर्व अभिमुखीकरण सेवा में भूमिका
  4. विकासात्मक निर्देशन सेवा में अध्यापकों की भूमिका
  5. परामर्श सेवा में अध्यापकों की भूमिका
  6. विशिष्ट छात्रों एवं समस्या ग्रस्त छात्रों की पहचान में अध्यापकों की भूमिका
  7. निर्देशन कार्यक्रम के कार्यान्वयन में अध्यापकों की भूमिका
  8. कार्यक्रम मूल्यांकन एवं शोध सेवा में अध्यापकों की भूमिका

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                Dr. D R BHATNAGAR  

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