मंगलवार, 24 जनवरी 2023

श्यामपट्ट लेखन कौशल (BLACK BOARD WRITING SKILL)

 

श्यामपट्ट लेखन कौशल 

BLACK BOARD WRITING SKILL

    शिक्षण प्रक्रिया मे श्यामपट्ट शिक्षक का सच्चा सहयोगी होता है। उसका घनिष्ठतम मित्र होता है। जब कोई तथ्य बालक मौखिक रूप से नही शिक्षक श्यामपट्ट पर ही उसे चित्रित करके बालक को समझाता है।

    श्यामपट्ट की सहायता से शिक्षक अपने शिक्षण को सशक्त बनाता है। शिक्षण प्रक्रिया में कई विषय तो ऐसे है, जिनका शिक्षक के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। जैसे- गणित, विज्ञान। इन विषयों में श्यामपट्ट की बहुत आवश्यकता पड़ती है। शिक्षक रेखाचित्र बनाकर किसी वस्तु का चित्र बनाकर अपने अध्ययन प्रकरण का अधिक प्रभावशाली बनाता है। इसके माध्यम से ही वह छात्रों को निर्देश देता है, गृहकार्य देता है। इस प्रकार यह दृश्य शिक्षण सहायक सामग्रीयों में सबसे सस्ती तथा सरल सामग्री है। इसका उपयोग सभी शिक्षक करते है। अपने शिक्षण में उद्देश्यों की प्राप्ति हेतू शिक्षक को श्यामपट्ट लेखन कौशल में सिद्धहस्त होना चाहिये।

कक्षा - शिक्षण में श्यामपट्ट का उपयोग

1. श्यामपट्ट कक्षा में तल से दो फुट के लगभग ऊचा होना चाहिये।

2. श्यामपट्ट पर लिखते समय 45 डिग्री के कोण पर खड़े होना चाहिये।

3. श्यामपट्ट पर किसी रोशनदान का सीधा प्रकाश ना पड़े । जिससे अक्षर ना दिखे।

4. श्यामपट्ट बहुत चिकना ना हो, इसके लिये उस पर समय-समय पर पाॅलिश करवाई जानी चाहिये।

5. श्यामपट्ट पर लिखते समय चाॅक आवाज ना करे, इसके लिये चाॅक की नाॅक आगे से तोड़ लेनी चाहिये।

6. कक्षा में श्यामपट्ट उपयोग के बाद चाॅक तुरन्त यथा स्थान पर रख देना चाहियें।

7. श्यामपट्ट का प्रयोग यदि आवश्यक हो तो ही करना चाहिये।

8. श्यामपट्ट पर लिखते समय सुन्दर लेख होना चाहिये।

9. अक्षरों को एक के बाद एक नियोजित ढ़ंग से लिखना चाहिये।

10. अक्षरों का आकार न तो अधिक बड़ा और न ही अधिक छोटा होना चाहिये।

11. लिखी जाने वाली पंक्ति सीधी रेखा में होनी चाहिये । यह प्रयोग अध्यापकों के लिये बहुत ही सावधानी का है।

12. एक ही तथ्य को बार-बार नहीं लिखना चाहिये।

13. श्यामपट्ट पर लिखने से पहले अच्छी प्रकार से उसे साफ कर लेना चाहिये क्योंकि बच्चे पुराने अक्षरों की मात्रा समझ कर गलत शब्द उतार लेते हैं या पढ़ लेते है।

14. अनावश्यक तथ्यों के लिये श्यामपट्ट का बचाना चाहिये । अन्याथा छात्र उसे भी विषय -वस्तु में सम्मिलित कर लेंगे।

15. कक्षा में प्रवेश करते हीे कक्षा, दिनांक, विषय,प्रकरण, कालाशं आदि अंकित कर देना चाहिये।

16. छात्रों को दिया जाने वाला गृहकार्य श्यामपट्ट पर लिखना चाहिये।

17. कालाशं समाप्त होने पर स्वयं श्यामपट्ट साफ करे । छात्रों से न कराये।

18. प्रकरण के विकास के साथ मुख्य बिन्दु अंकित करते रहना चाहिये।

19. लिखते समय साथ-साथ बोलते भी रहना चाहिये। इससे बालक सक्रिय रहेंगे।

20. लिखते समय कक्षा में अवश्य ध्यान देना चाहिये।

21. शिक्षक के पास चाॅक पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिये।

22. झाड़न अच्छा होना चाहिए, साफ करते समय आवाज नहीं आनी चाहिये व श्यामपट्ट पर खरोंच न आये।

23. श्यामपट्ट पर लिखते समय अध्यापक का शरीर छात्रों के श्यामपट्ट पढ़ने में बाधक नहीं होना चाहियंे।

श्यामपट्ट का महत्व/उपयोगिता

1. श्यामपट्ट विषय की प्रारम्भिक सूचनाएँ देने में सहायक होता है।

2. इससे बालकों को व्याख्या करके समझा सकते हैं।

3. श्यामपट्ट के द्वारा बालक शारीरिक और मानसिक रूप से क्रियाशील बना रहता है।

4. यह सहायक सामग्री की पूर्ति करता है।

5. सम्बन्धित प्रकरण को चित्र-रेखाचित्र आदि की सहायता से समझाने में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान हैै।

6. कठिन शब्दों के अर्थ विभिन्न विधियों से समझाये जा सकते है।

7. इस पर अंकित शिक्षण सामग्री छात्र के मानस पटल पर अंकित हो जाती है।

8. प्रकरण-कालांश-विषय आदि का बोध भी समय-समय पर होता रहता है।

9. शिक्षक के लेखन कौशल को सुदृढ़ बनाता है और छात्र के लेखन कौशल को भी विकसित करने में सहायक होता है।

10. छात्रों का ध्यान विकेन्द्रीकृत नहीं हो पाता। 

11. इससे सम्पूर्ण कक्षा एक साथ लाभान्वित हो सकती है।

12. यह गृहकार्य प्रदान करने में सहायक है।

13. गणित, विज्ञान,चित्रकला आदि विषयों में यह महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

14. कविता शिक्षण मे इसकी उपयोगिता है। अध्यापक सम्बन्धित पद्य को इस पर लिखकर शिक्षण कराने में सफल होता है।

15. अवकाश आदि की घोषणा के लिये भी श्यामपट्ट उपयोगी है।

16. श्यामपट्ट पर अनमोल वचन लिखकर छात्रों को दिखा सकते है।

17. श्यामपट्ट का प्रयोग करने से बालक की झिझक दूर होती है।

श्यामपट्ट लेखन कौशल के घटक

1. सुपाठ्य व सुलेखन- एक लेखने सुपाठ्य एवं अच्छे स्तर का तब माना जाता है, जबकि उसे आसानी से पढ़ा जा सके ।इसके लिये यह आवश्यक है कि अक्षरों की बनावट श्यामपट्ट पर ऐसी हो कि कक्षा का प्रत्येक बालक उसे अच्छी तरह से पढ़ सके।

2. व्याकरणिक शुद्धता- अध्यापक का प्रत्येक व्यवहार विद्यार्थी के लिये एक आदर्श व्यवहार होता है। यदि वह किसी शब्द को त्रुटिपूर्ण रूप में लिखता है, तो बालक भी उसे ही आदर्श मानकर लिखना प्रारम्भ कर देते हैं। अतः ध्यान रहे कि श्यामपट्ट पर जो भी लिखा जाये शुद्ध ही लिखें।

3. व्यवस्थित लेखन- व्यवस्थित लेखन से अभिप्रायःश्यामपट्ट पर लिखे शब्दों या वाक्यों  को एक विशेष क्रम में जमाना है और पंक्तियों का सीधी लाईन में ही लिखे। पाॅइन्टों में या आवश्यक हो तो सारणी में लिखना चाहिये तथा शब्दों एवं पंक्तियों के मध्य समान दूरी होनी चाहिये।

4. संक्षिप्तता- श्यामपट्ट का कक्षा में प्रयोग न करना तथा आवश्यकता से अधिक उपयोग करना दोनों ही स्थितियाँ उचित नही है। श्यामपट्ट का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिये कि पाठ्यवस्तु के प्रमुख बिन्दु का वर्णन उसमें आ जायें।

5. महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करना- अध्यापक को श्यामपट्ट पर  महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं  को अवश्य रेखांकित करना चाहिये या रंगीन चाॅक का प्रयोग करना चाहिये। जिससे छात्रों का ध्यान केन्द्रित हो सके।

6. उपयुक्तता- श्यामपट्ट का उपयोग उचित तरीके या विधि से होना चाहिये। यानि छात्रों के लिये शिक्षक गतिरोध भी नही होना चाहिये। श्यामपट्ट साफ करने का तरीका उचित होना चाहिये। लिखते समय शब्दों को बोल-बोल कर लिखना चाहिये व सरल शब्दों में उपयोग होना चाहिये। लिखते समय 45 डिग्री कोण पर खडे़ होना चाहिये। बीच-बीच में कक्षा की तरफ भी ध्यान देना चाहिये व साफ करने से पहले बच्चों की सहमति अवश्य लेनी चाहिये।

श्यामपट्ट शिक्षण सहायक सामग्रीयों में से सस्ती सामग्री है। शिक्षण में इसकी आवश्यकता प्रारम्भ से अन्त तक है। इसके द्वारा शिक्षण कराने से ज्ञान स्थाई रहता हैै। श्यामपट्ट पर लिखें शब्द, छात्रों पर बहुत प्रभाव डालते है, इससे छात्रों में शुद्ध व सुन्दर लेख के प्रति जागृति बढ़ती है। सुव्यवस्थित श्यामपट्ट कौशल का उपयोग छात्रों मे श्यामपट्ट पर विभिन्न सारणियां, चित्र व आंकडों के द्वारा शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जाता है।





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Dr. D R BHATNAGAR 

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