शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009
(Right to Education Act 2009)
देश में 6 से 14 वर्ष के हर बालक बालिकाओं को नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह अधिनियम पूरे देश में अप्रेल 2010 से लागू किया गया है। 6 से 14 बालिकाओं को निःशुल्क और अनिवार्य अधिनियम हर बालक 2009 बनाया गया है। यह अधिनियम पूरे देश में अप्रेल 2010 से लागू किया गया है। 6 से 14 वर्ष की आयु के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86 वे संशोधन के द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाया गया है। सरकारी विद्यालयों द्वारा सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करायेगें और विद्यालयों का प्रबंध विद्यालय प्रबंध समितियों द्वारा किया जायेगा। निजी विद्यालय न्युन्तम 25 प्रतिशत बच्चों को बिना किसी शुल्क के नामांकित करेंगे।
RTE-2009 की अवधारणा :- किसी पड़ौस के विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार । यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य छह से चौदह आयु के प्रत्येक बच्चों को निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करने और अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारम्भिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से है । यह अन्यों के साथ-साथ, छात्र शिक्षक अनुपात ( पीटीआर) भवन और अवसंचरना विद्यालय के कार्य दिवस, शिक्षक के कार्य के छटों से संबंधित मानदण्डों और मानकों को निर्धारित करता है।
RTE का अर्थ :- नि: शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम 2009 में बच्चों का अधिकार जो अनुच्छेद 21 क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्व है, का अर्थ है कि औपचारिक स्कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्डों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एकसमान गुणवता वाली पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। "Right to Education" अर्थात् प्रत्यकेव्यक्ति को प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार है चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, समुदाय, राज्य का निवासी हो, उस प्राथमिक रूप से शिक्षा मिलनी ही चाहिए।
RTE की आवश्यकताः- यह विधेयक महत्वपूर्ण है क्योकि संवैधानिक संसोधन लागू, करने की दिशा में सरकार की सक्रिय भूमिका का यह पहला कदम है। और यह विधेयक इसलिए भी महत्त्पूर्ण है क्योकि-
• इसमें निः शुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक तथा माध्यमिक शिक्षा का कानूनी प्रावधान है ।
• प्रत्येक इलाके में एक स्कूल का प्रावधान है।
• इसके अन्तर्गत एक स्कूल निगरानी समिति के गठन का प्रावधान है जो समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम स्कूल की कार्यप्रणाली की निगरानी करेगी।
6 से 14 साल के आयुवर्ग के किसी भी बच्चे को नौकरी में नहीं रखने का प्रावधान है। उपरोक्त प्रावधान एक सामान्य स्कूल प्रणाली के विकास की नींव रखने की दिशा में प्रभावी कदम है। इससे सभी बच्चों को गुणवतापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी और इस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित वर्गो को अलग-थलग करने में रोक लग सकेगी।
RTE-2009 की संवैधानिक स्थिति :- उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने प्रमाती शैक्षिक और सांस्कृतिक ट्रस्ट और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में न केवल बच्चों की नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 को वैध एंव संवैधानिक घोषित किया गया है
RTE की संवैधानिक स्थिति में 7 अध्याय 38 धाराएँ एंव 1 अनुसूची को शामिल किया गया है-
अध्याय :- इसमें कुल 7 अध्याय है।
अध्याय 1- प्रस्तावना
अध्याय 2 - अधिनियम लिखा गया है।
अध्याय 3- समुचित सरकार के प्राधिकारी वर्ग के अधिकार दायित्व व माता-पिता के कर्त्तव्य |
अध्याय 4- शिक्षक के अधिकार एंव दायित्व ( विद्यालय मानक ) के अनुसार, योग्यता ।
अध्याय 5 - पाठ्यक्रम निर्माण करने वाले अधिकारी के अधिकार एंव दायित्व ।
दायित्व (1) :- राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण की पृष्ठभूमि वाला पाठ्यक्रम ।
दायित्व ( 2 ) :- पाठ्यक्रम गुणवतापूर्ण, लचीला एंव प्रांसगिक हों ।
दायित्व ( 3 ) दायित्व (4) :- पाठ्यक्रम गुणवतापूर्ण, लचीला एंव प्रासंगिक हों । :- पाठ्यक्रम रोजगार प्रदान करने वाला हो
अध्याय 6– बाल संरक्षण अधिकार अधिनियम 2005 का उल्लेख है जो कि बालको के अधिकारों की सुरक्षा करता हो ।
अध्याय 7- प्रकीर्ण का उल्लेख है जिसमें समुचित सरकार को ये अधिकार है कि तय मानकों में परिवर्तन या प्रावधान करती है।
अधिनियम की धाराएँ इसमें कुछ प्रमुख धाराओं का वर्णन है जो निम्न प्रकार है
धारा - 1 मदरसौ, वैदिक पाठशालाओं पर लागू नहीं
धारा - 2 परिभाषा या शब्दावली ।
धारा - 3 प्रत्येक बालक को निःशुल्क एंव अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार ।
धारा - 4 बालक को उसकी आयु के अनुसार कक्षा में प्रवेश दिया जाए ।
धारा - 5 यदि किसी बालक को अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के अवसर प्राप्त न हो तो वह अपनी शिक्षा पूर्ण करने के लिए विद्यालय स्थानान्तरण का हक रखता है।
धारा - 6 सरकार का कर्तव्य है कि वह परिस्थिति के अनुसार विद्यालय का निर्माण करें ।
धारा - 7 यह अधिनियम की वित्तीय स्थिति को दर्शाती है।
धारा - 8 समुचित सरकारी कर्तव्य को शामिल किया गया है, इसमें सरकार समुचित
शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु सम्पूर्ण प्रयास करें।
धारा - 9 स्थानीय प्राधिकारी के दायित्व ।धारा 10 माता - पिता के कर्तव्य ।
धारा - 11 समुचित सरकार को निर्देश देती है कि वह आयु वर्ग 1-5 वर्ष की देखभाल को सुनिश्चित करें।
धारा - 12 निम्न वर्ग को कक्षा 1 व 2 में 25 प्रतिशत आरक्षण ।
धारा - 13 बालक के प्रवेश के समय प्रवेश तथा शिक्षण शुल्क नहीं लिया जावें । धारा - 14 आयु से संबंधित दस्तावेज नहीं होने पर शिक्षा से वंचित नहीं ।
धारा - 15 बालक की प्रवेश तिथि के संदर्भ में सूचना मध्य जा सकता है। - सत्र में भी प्रवेश दिया
धारा - 16 कक्षा 1 से 8 तक आयु वर्ग 6-14 वर्ष के बालकों को किसी भी स्तर पर अवरोधक नहीं किया जायेगा।
धारा- 17 बालक का शारीरिक एंव मानसिक शोषण नहीं किया जावे। यह दण्डनीय अपराध की श्रेणी में होगा ।
धारा - 18 यदि कोई विद्यालय प्रबंध सरकार द्वारा तय मानकों को पूरा करता है तो उसे विद्यालय संचालन की अनुमति दी जाये ।
धारा-19 यदि कोई विद्यालय प्रबंधन तय मानकों को पूरा नहीं करता है तो विद्यालय की मान्यता रद्द की जायें।
धारा - 20 सरकार को यह अधिकार है कि वे विद्यालयों के तय मानको के परिवर्तन का प्रावधान करती है।
धारा - 21 SMC का गठन ।
धारा - 22 SMC द्वारा बनायी गयी विद्यालय विकास योजना को क्रियान्वित करती है
धारा - 23 शिक्षक की योग्यता
प्राथमिक स्कूल में - BSTC + 50% ( 12th )
उच्च प्राथमिक स्कूल में B.Ed + U.G
धारा - 24 शिक्षक के दायित्व और नियुक्ति ।
धारा - 26 10 प्रतिशत से अधिक शिक्षक पद रिक्त नहीं होने चाहिए।
धारा 27 शिक्षक शिक्षण के अतिरिक्त आपातकाल और निर्वाचन व जनगणना संबंधित कार्य करेगा।
धारा - 28 कोई भी विद्यालय शिक्षक नीजी या प्राइवेट ट्यूशन नहीं करवायेगा और करवाने पर दण्डनीय अपराध का भागी होगा।
धारा - 29 पाठ्यक्रम निर्माण करने वाले प्राधिकारी एवं कर्तव्य ।
धारा 30 प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने तक बोर्ड परीक्षा उतीर्ण करना जरूरी नहीं है। परन्तु वर्तमान में बार्ड परीक्षा अनिवार्य है।
धारा 31-34- बालकों के अधिकार का संरक्षण
धारा 35-38- प्रकीर्ण (अध्याय - 7 )
अनुसूची अनुसूची के रूप में एक ही अनुसूची बनायी गई इसमें विद्यालय के मान व मानक आते है।
RTE-2009 की मुख्य विशेषताएँ :- बच्चे को निः शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अवसर और अधिकार देता है।
1. विकलांग बच्चे भी मुख्यधारा की नियमित स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकते है।
2. प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एककिलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और 3 किलोमीटर के भीतर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध हो जाते है।
3. किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दण्ड नहीं दिया जायेगा । 4. स्कूलों में लड़के व लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जायेगी ।
5. इस अधिनियम के तहत शिकायत निवारण के लिए ग्राम स्तर पर पंचायत कलस्टर स्तर पर कलरअर संसाधन केन्द्र (सी.आर.सी.) तहसील स्तर पर तहसील पंचायम, जिला स्तर पर जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की व्यवस्था है।
6. प्रारम्भिक शिक्षा की गुणवता सुधारने का लक्ष्य है।
7. यह प्रावधान एक सामान्य स्कूल प्रणाली के विकास की नींव रखने की दिशा में प्रभावी कदम है। इससे सभी बच्चों को गुणवता पूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी और इस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को अलग थलग करने में रोक लग सकेगी।
8. विधेयक में सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से प्रारम्भिक से माध्यमिक स्कूल तक की शिक्षा देने पर जोर दिया गया है और इस आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने से उनके भविष्य का आधार तैयार हो सकेगा।
9. किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में फेल करके नहीं रोका जायेगा और 8 साल तक की शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाया जायेगा ।
10. स्कूलों में शिक्षको और कक्षाओं की संख्याँ पर्याप्त मात्रा में रहेगी। हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक हर शिक्षक के लिए एक कक्षा और प्रिंसिपल के लिए एक अलग कमरा उपलब्ध करवाया जाएगा।
11. बच्चे को स्कूल में दाखिला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार कोई अनुदान नहीं मागेंगा।
RTE-2009 भारतीय शिक्षा का प्रभाव :- प्रावधान का भारतीय शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ा है जो निम्न प्रकार है:-
1. भारत के 6 14 बर्ष आयु वर्ग के बीच आने वाले सभी बच्चों को मुफ्त एंव अनिवार्य शिक्षा मिलने लगी।
2. प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने से पहले रोका या निकाला नहीं जायेगा।
3. ऐसा बच्चा जिसकी उम्र 6 साल से ऊपर है जिसका किसी स्कूल में दाखिला नहीं है अथवा है तो भी उपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाया तो उसे उम्र के अनुसार कक्षा में प्रवेश दिया जाये।
4. प्रवेश के लिए उम्र का साक्ष्य प्राथमिक शिक्षा हेतु प्रवेश के लिए बच्चे के उम्र का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर किया जायेगा जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने पर किसी बच्चे को प्रवेश लेने से वंचित नहीं करा जावें ।
5. प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले छात्र अनुपात की सिफारिशें इसमें शामिल है।
6. एक निश्चित शिक्षक छात्र अनुपात की सिफारिशें इसमें शामिल है।
7. आर्थिक रूप से कमजोर सभी समुदाय के लिए सभी निजी स्कूलों में कक्षा 1 में दाखिला के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण होगा।
8. शिक्षा की गुणवता में अनिवार्य एंव आवश्यक सुधार।
9. स्कूल का बुनियादी ढांचा 3 वर्षों के भीतर सुधारा जाये अन्यथा उसकी मान्यता रद्द कर दी जाये।
10. वितीय व्यवस्था के लिए राज्य सरकार व केन्द्र सरकार के बीच सांझा किया जायेगा |
RTE-2009 की आलोचना :- मुफ्त और अनिवार्य से जरूरी है समान शिक्षा प्रदान करना अच्छा होता है अगर सरकार मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का बिल लाने पर जोर देने के बजाय समान्य स्कूल का बिल लाने पर जोर देने के बजाय सामान्य स्कूल का बिल लाने पर ध्यान केन्द्रित करती है अर्थात् सभी स्कूलों में एक ही पाठ्क्रम हों।
सरकार ये घोषण क्यों नही करती है कि देश का हर बच्चा एक ही तरह के स्कूल में जायेगा और पूरे देश में एक ही पाठ्यक्रम पढाया जाये।
मुफ्त एंव अनिवार्य शिक्षा के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों को दाखिला मिलेगा यानि शिक्षा के जरिये गैर बराबरी का सपना देखा गया वो अभी भी पूरा नहीं हो पाया।
मुफ्त शिक्षा की बात महज एक धोखा है क्योंकि इसके लिए बजट के प्रावधान का जिक्र विधेयक में नहीं है।
- कानून का क्रियान्वयन कैसा होगा यह स्पष्ट नहीं है।
- इस विधेयक में लिखा है कि किसी बच्चे को काई भी फीस नहीं देनी पड़ेगी इस घुमावदा भाषा का शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर मनमाने ढंग से उपयोग किया जा रहा है।
RTE-2009 आने के बाद प्रायः शिक्षा में काफी सुधार आया है भारत में साक्षर व्यक्तियों की संख्या बढी है अर्थात् भारत में साक्षरता दर बढी है। इस विधेयक से ही विद्यालय के संस्थानिक ढांचे में सुधार हुआ है यह विधेयक जनहित का विधेयक है जिसमें छात्र को शिक्षा उचित मूल्यों एवं अभिवृति एंव अभिप्रेरणा के आधार पर दी जाती रही है। यह विधेयक देश की साक्षरता दर बढ़ाने में नींव का पत्थर साबित हुआ है। इस प्रावधान के कारण ही निजी विद्यालयों के मनमाने ढंग से चलाये जाने पर नियंत्रण एंव नियमन लगा है। एवं देश की अर्थव्यवस्था में मदद मिली है। इस प्रावधान से गरीब वर्ग के विद्यार्थियों को पोष्टिक आहार एंव शुद्ध पेयजल की सुविधा मिली यह एक ऐसा प्रावधान है जिसने देश को विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र बनाने में महत्पूर्ण है।
RTE-2009 के मुख्य प्रावधान :-
1. 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त संविधा ( निः शुल्क ) शिक्षा उपलब्ध कराई जाये ।
2. निजी स्कूल को 6 14 वर्ष के 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ना। इन बच्चों से फीस वसूलने पर 10 गुना जुर्माना होगा शर्त नहीं मानने पर मान्यता रद्द हो सकती है और मान्यता निरस्त होने पर स्कूल चलाया तो 1 लाख और प्रतिदिन 10,000 का जुर्माना लगाया जायेगा ।
3. विकलांग बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा के लिए उम्र बढ़ाकर 18 वर्ष रखी गई है।
4. बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराना राज्य तथा केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी होगी ।
5. इस विधेयक में 10 ( अंह) मुख्य लक्ष्यों को पूरा करने की बात कही है, इसमें मुफ्त एंव अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का दायित्व केन्द्र राज्य सरकार पर होने स्कूल पाठ्यक्रम देश के संविधान की दिशा निर्देश के अनुरूप और सामाजिक जिम्मेदारी पर केन्द्रित होने और एडमिशन प्रक्रिया में लालफिताशाही कम करना शामिल है।
6. प्रवेश के समय कई स्कूल कॉम्पिटेशन फीस की मांग करते है और बच्चों एंव माता-पिता को इन्टरवियों की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। एडमिशन की इस प्रक्रिया को बदलने का वायदा भी इस विधेयक में है। बच्चों के स्केनिंग एवं अभिभावकों की परीक्षा लेने पर 25,000 का जुर्माना तथा दोहराने पर 50,000 का जुर्माना |
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Dr. D R BHATNAGAR
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