शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986


  • 1948 में डॉ॰ राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के गठन के साथ ही भारत में शिक्षा-प्रणाली को व्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया था।
  • 1952 में लक्षमणस्वामी मुदलियार की अध्यक्षता में गठित माध्यमिक शिक्षा आयोग, तथा 1964 में दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में गठित भारतीय शिक्षा आयोग की अनुशंशाओं के आधार पर 1968 में शिक्षा नीति पर एक प्रस्ताव प्रकाशित किया गया जिसमें ‘राष्ट्रीय विकास के प्रति वचनबद्ध, चरित्रवान तथा कार्यकुशल’ युवक-युवतियों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया।
  • मई 1986 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई, जो अब तक चल रही है। इस बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा के लिए 1990 में आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति, तथा 1993 में प्रो. यशपाल समिति का गठन किया गया।
  • नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986
National Education Policy 1986 

  • राष्ट्र आर्थिक एवं तकनीकि विकास के दौर में उपलब्ध संसाधनों से अधिकतम लाभ उठाने तथा परिवर्तन का लाभ सभी वर्गाे तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक मार्ग शिक्षा है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने जनवरी 1985 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण करने की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के प्रावधान 
  • भारत सरकार ने 24 जुलाई 1968 को स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की तथा इस पर अमल होना प्रारम्भ हो गया।
  • मार्च 1977 में केंद्र में जनता दल की सरकार बनी इस सरकार के बनते ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण हुआ तथा 1979 में इसे घोषित कर दिया गया। इस शिक्षा नीति को संसद में पास होने के बाद मई 1986 में इसे प्रकाशित किया गया। तथा इसकी कार्ययोजना को भी प्रकाशित किया गया। भारत  की राष्ट्रीय शिक्षा नीति1986 पहली नीति है जिसमें नीति के साथ साथ उसको पूरा करने की योजना भी प्रस्तुत की गयी।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति निर्माण की प्रक्रिया के दौरान भारत सरकार ने अगस्त 1985 में एक दस्तावेज -शिक्षा की चुनौती: नीति संबंधी परिप्रेक्ष्य जारी किया था। इस दस्तावेज को जारी करने का उद्देश्य शिक्षा नीति के संबंध में देशव्यापी विचार विमर्श को प्रोत्साहित करना था जिससे कि नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिए पर्याप्त आधार तैयार हो सके तथा समाज के विभिन्न वर्ग अपने विचारों, माँगों तथा आवश्यकताओं को नई नीति के निर्माणकों के सम्मुख रख सके।
  • आशा के अनुरूप उस दस्तावेज पर संपूर्ण भारत में पर्याप्त विचार विमर्श हुआ तथा विभिन्न वर्गों, बौद्धिक सामाजिक, राजनैतिक, व्यावसायिक, प्रशासकीय आदि ने अपनी अपनी प्रतिक्रियाए व्यक्त की। मई 1986 में भारत सरकार ने शिक्षा नीति - 1986 का प्रारूप तैयार करके जारी कर दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 1986 को कुल 12 खंड़ों में बाँटा गया है जिनमें कुल 157 बिंदुओं मे अंतर्गत नई शिक्षा नीति को लिपीबद्ध किया गया है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का दस्तावेज 

  • राष्ट्रीय शिक्षा 1986 का दस्तावेज कुल 12 भागों में विभाजित है।
खण्ड एक -प्रस्तावना (introduction)
  • राष्ट्र में आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों से अधिक से अधिक लाभ सभी वर्गो तक पहुँचाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए भारतीय शिक्षा आज ऐसी जगह आकर खड़ी है जहाँ पर देश की परिस्थितियों में परिवर्तन हुआ है। देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही  है जिससे लोकतन्त्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने में समस्या आ रही है। इसके अलावा भविष्य में अनेक समस्याओं का सामना करना होगा। नई चुनौतियों तथा सामाजिक आवश्यकताओं ने सरकार के लिए यह जरूरी कर दिया है कि वह एक नई शिक्षा नीति तैयार करे तथा उसे क्रियान्वित  करे।
खण्ड दो -शिक्षा का सार, भूमिका  (Essence of Education Introduction)
  • शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य के अन्दर मानसिक शारीरिक चारित्रिक, सांस्कृतिक, लोकतन्त्रीय गुणों का विकास होता है शिक्षा मनुष में स्वतन्त्र सोच तथा चिन्तन का विकास करती है। शिक्षा के द्वारा प्रजातन्त्रीय लक्ष्य दृ समानता,  स्वतन्त्रता, भ्रातृत्व, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और न्याय की प्राप्ति कर सकते हैं। यह आर्थिक विकास करने में सहायक है। शिक्षा के द्वारा वर्तमान और भविष्य का निर्माण कर सकते है इसलिए शिक्षा वास्तव में एक उत्तम साधन है।
खण्ड तीन-राष्ट्रीय प्रणाली (National System)
  • शिक्षा के द्वार सभी के लिए जाति, धर्म व लिंग में भेदभाव के बिना समान रूप से खुले हैं। शिक्षा की राष्ट्रीय प्रणाली से तात्पर्य एक समान शिक्षा सरंचना से है सम्पूर्ण देश में 10+2+3 शिक्षा 10 वर्षीय शिक्षा में 5 वर्षीय प्राथमिक शिक्षा तथा 3 वर्षीय उच्च प्राथमिक शिक्षा और उसके बाद 2 वर्षीय हाईस्कूल शिक्षा की व्यवस्था होगी, 2 वर्षीय पर इण्टरमीडिएट शिक्षा तथा, 3 वर्षीय पर स्नातक शिक्षा प्रदान की जाएगी।
खण्ड चार- समानता के लिए शिक्षा (Education for Equality)
  • शिक्षा नीति में असमानताओं को दूर करके सभी के लिए शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराये जाएंगे। महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा का प्रयोग साधन के रूप में किया जाएगा। शिक्षण संस्थाओं में महिला विकास के कार्यक्रम शुरू कराए जाएंगे। जिन कारणों से बालिकायें अशिक्षित रह जाती है, सबसे पहले उन कारणों का समाधान किया जाएगा। निर्धन परिवारों के बच्चों को 14 वर्ष तक की अनिवार्य शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृत्ति तथा छात्रावासों की व्यवस्था की जाएगी।अनुसूचित जातियों के लिए शैक्षिक सुविधाओं का विस्तार करने सम्बन्धी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगारकार्यक्रम तथा रोजगार गारण्टी कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाएगी।






















 

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