क्या सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान भूतकाल की बात हो गये है?वर्तमान समय में सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की बात की जाए तो यह कहना उचित रहेगा कि बिल्ली को दूध संभालने के लिए दे दिया।
- सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान को राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ा दिया गया है।
- सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान को समाप्त करने का राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने कदम बढ़ा दिए।
- समग्र शिक्षा अभियान के तहत होने वाले शिक्षक प्रशिक्षण को ऑनलाइन और मॉड्युल आधारित करवाए जा रहे हैं जो केवल एक ही प्रकार की विधा की ओर इंगित करता है।
- अध्यापक जो प्रशिक्षण प्राप्त करने जाते हैं उनकी नजर में प्रशिक्षण के प्रति उत्साह से ज्यादा उदासीनता ने उनको घेर लिया है तथा प्रशिक्षण संस्थानों में अधिकारियों की मौजूदगी उन्हें हमेशा दबाव में प्रशिक्षण व चापलूसी को प्रेरित करती है।
- सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता के खत्म होने के पीछे एक कारण प्रशिक्षण प्राप्त लोगों का उनकी सर्विस के साथ प्रशिक्षण का कोई लाभ नहीं मिलना है।
- प्रशिक्षण देने वाले व लेने वाले दोनों ही जब योग्यता में समान होते हैं तब प्रशिक्षण अपनी उपादेयता को खो देता है जो वर्तमान में हमारे प्रशिक्षण में हो रहा है।
- प्रशिक्षण के साथ-साथ उस पर अनुसंधान भी आवश्यक है लेकिन वर्तमान मे अनुसंधान मौलिक ना होकर शुन्य हो गया है या लीपापोती हो रही है।
- आन साइड प्रोग्राम मरणासन्न की अवस्था में पहुंच गए हैं।
- कार्यशालाओं का आयोजन ना के बराबर हो रहा है या हो रहा है तो विभागीय चाटुकारिता या बजट निस्तारण के लिए।
- विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के साथ इन प्रशिक्षण संस्थानों के समन्वय से उच्च कोटि के प्रशिक्षण जो चल रहे थे अब उनका पटाक्षेप हो चुका है।
- वर्तमान के प्रशिक्षण को अध्यापक 10 दिन की गोठ या पिकनिक नाम दे रहे हैं।
- जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे निर्णय ले रहे हैं क्योंकि उनके ऊपर कुछ ऊपर के लोगों का दबाव है।
- इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों और विद्यार्थी भुगतने को तैयार हो चुके हैं क्योंकि भविष्य नेताओं का, जिम्मेदार अधिकारियों का खराब नहीं होगा खराब इस देश के नागरिक विद्यार्थियों का होगा जो भविष्य की नींव है।
कैसे सुधार किया जाए?
- सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु शिक्षक प्रशिक्षण कैडर बनाकर शिक्षक प्रशिक्षकों व शिक्षण संस्थानों को विकसित किया जाए।
- शिक्षक प्रशिक्षण में विद्यालय, शिक्षण, शिक्षण विधियों पर आधारित नवाचारों पर अधिक जोर दिया जाए।
- शिक्षक प्रशिक्षण को सेवा नियमों का अंग बनाया जाए वह वेतन वर्दी में अतिरिक्त लाभ दिया जाए।
- ऑनलाइन माध्यम के प्रशिक्षण को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाए। ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग विशिष्ट विधाओं, शिक्षण प्रशिक्षण सामग्री व अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार हेतु किया जाना ही उचित रहेगा।
- लैब एरिया गतिविधियों को भी बढ़ाया जाए।
- शिक्षक प्रशिक्षण में अनुसंधान कार्यक्रम को पीएच.डी. जैसे कार्यक्रम एवं डिग्री के साथ जोड़ा जाए तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पेपर पब्लिश करने हेतु अध्यापकों को प्रेरित किया जाए।
- शिक्षण प्रशिक्षण से संबंधित संस्थाओं के साथ कोलोबरेशन किया जाए।
- भाषा आधारित कार्यशाला सभी अध्यापकों के लिए आयोजित की जाए। जहां हिंदी भाषी क्षेत्रों में अंग्रेजी और मातृभाषा क्षेत्रों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों हेतु कार्य किया जाए।
- प्रशिक्षण संस्थाओं को सुदृढ़ किया जाए।
इसी प्रकार ही शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की डूबते जहाज को वापस किनारे लाकर उसको सुधार किया जा सकता है।For Next topic and next post
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Dr. D R BHATNAGAR
Reader /Associate professor7222005216dungarambhatnagar@gmail.com